पंबन का नया पुल शक्तिशाली चक्रवात को भी झेल सकता है: आरवीएनएल निदेशक |

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(जीवन प्रकाश शर्मा)


नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तमिलनाडु के रामेश्वरम में जिस नए पंबन पुल का उद्घाटन किया गया वह 1964 के तूफान से भी अधिक शक्तिशाली चक्रवातों को झेल सकता है। पुराने पुल को चक्रवात ने काफी नुकसान पहुंचाया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के निदेशक (संचालन) एम पी सिंह ने कहा कि इस पुल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 230 किमी प्रति घंटे की हवा की रफ्तार के साथ-साथ भूकंप के तेज झटकों को झेल सकने में सक्षम होगा।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘1964 के चक्रवात की रफ्तार लगभग 160 किलोमीटर प्रति घंटा थी और इससे पुराने पुल को काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि, शेरजर स्पैन, जो जहाज की आवाजाही के लिए खोला जाता था, चक्रवात से बच गया और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा।’’

पहले ‘वर्टिकल लिफ्ट स्पैनर’ पुल की योजना, डिजाइन, क्रियान्वयन और इसकी शुरुआत के लिए आरवीएनएल को जिम्मेदारी दी गई।

सिंह ने कहा कि यह उन प्रमुख कारकों में से एक था जिसने ‘‘डिजाइन चरण में हमें चुनौती दी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए हैं कि तेज चक्रवात भी पुल को कोई नुकसान न पहुंचा सकें।’’

इसके अलावा, कुछ सुरक्षा प्रोटोकॉल भी हैं। उदाहरण के लिए, ‘लिफ्ट स्पैनर’ हर समय झुकी हुई स्थिति में रहेगा और इसे केवल जहाजों की आवाजाही के समय ही उठाया जाएगा।

सिंह ने कहा कि कंक्रीट के खंभों पर रखे गर्डर समुद्र के जल स्तर से 4.8 मीटर ऊंचे हैं, इसलिए ऊंची लहर उठने की स्थिति में भी, पानी के गर्डर तक पहुंचने की आशंका लगभग नगण्य है।

उन्होंने कहा, ‘‘पुराने पुल का गर्डर समुद्र के जल स्तर से 2.1 मीटर ऊंचा था। इसलिए ऊंची लहरें उठने के दौरान पानी न केवल गर्डर पर बल्कि कभी-कभी ट्रैक पर भी चला जाता था।’’

रामेश्वरम में 22 दिसंबर 1964 को आये भीषण चक्रवाती तूफान ने क्षेत्र के साथ-साथ रेल नेटवर्क को भी तबाह कर दिया था।

रेल मंत्रालय ने इस त्रासदी का ब्यौरा साझा करते हुए कहा कि छह डिब्बों वाली पंबन-धनुषकोडी यात्री ट्रेन 22 दिसंबर को रात 11.55 बजे पंबन से रवाना हुई थी, जिसमें छात्रों के एक समूह और रेलवे के पांच कर्मचारियों सहित 110 यात्री सवार थे।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पंबन के पुल निरीक्षक अरुणाचलम कुमारसामी ट्रेन संचालित कर रहे थे। धनुषकोडी आउटर पर सिग्नल गायब हो गया और ट्रेन कुछ देर के लिए रुक गई। ड्राइवर ने जोखिम उठाने का फैसला किया और देर तक सीटी बजाई।’’

मंत्रालय ने कहा ‘‘तभी समुद्र से 20 फुट ऊंची लहर उठी और ट्रेन से जा टकराई। हालांकि शुरुआती रिपोर्ट में मृतकों की संख्या 115 बताई गई थी (पंबन में जारी टिकटों की संख्या के आधार पर), लेकिन आशंका थी कि मृतकों की संख्या 200 के आसपास रही होगी, क्योंकि उस रात कई यात्रियों ने बिना टिकट यात्रा की थी।’’

यह त्रासदी 25 दिसंबर को तब प्रकाश में आई जब दक्षिणी रेलवे ने मंडपम के समुद्री अधीक्षक से प्राप्त सूचना के आधार पर एक बुलेटिन जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी खबरें आई थीं कि ट्रेन डिब्बों के बड़े-बड़े टुकड़े बहकर श्रीलंका के तट पर पहुंच गए। ट्रेन दुर्घटना के अलावा, द्वीप पर 500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘सभी संचार व्यवस्था बाधित हो गई। पंबन वायडक्ट बह गया, केवल खंभे, कुछ पीएससी गर्डर और लिफ्टिंग स्पैन ही बचे थे।’’

भाषा आशीष नरेश

नरेश



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