न्यायालय ने कहा, चिकित्सा बोर्ड डाकिये की तरह काम नहीं कर सकते |

Ankit
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नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने नीतीश कटारा हत्याकांड के एक दोषी के परिजन की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने के लिए गठित एम्स चिकित्सा बोर्ड को उसके “लापरवाह रुख” के लिए बृहस्पतिवार को फटकार लगाई।


इस हत्याकांड के सिलसिले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे विकास यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत की गुहार लगाई है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की रिपोर्ट “जल्दबाजी में सरसरी तौर पर” बिना इस सवाल पर विचार किए पेश की गई कि यादव की मां की सर्जरी किए जाने की जरूरत है या नहीं।

पीठ ने कहा, “कोई भी अपना काम नहीं कर रहा है। यह बहुत ही लापरवाही भरा रवैया है। एम्स की ओर से पेश की गई चिकित्सा रिपोर्ट बहुत ही सतही है। चिकित्सा बोर्ड डाकिये की तरह काम नहीं कर सकते। वे बस वहां जाते हैं और हमें बताते हैं कि डॉक्टर ने क्या कहा है। हमें आश्चर्य है कि चिकित्सा बोर्ड काम करने को तैयार नहीं हैं।”

शीर्ष अदालत ने कहा, “हम यशोदा अस्पताल के विपिन त्यागी को मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने और हमें याचिकाकर्ता की मां की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी देने का निर्देश देते हैं।”

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने यादव की मां की स्वास्थ्य स्थिति के आकलन के लिए चिकित्सा बोर्ड गठित करने में देरी को लेकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को फटकार लगाई थी।

न्यायालय ने आश्चर्य जताया था कि दो अप्रैल के उसके आदेश के बावजूद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की स्वास्थ्य स्थिति के आकलन के लिए चिकित्सा बोर्ड गठित करने में 10 दिन लग गए।

यादव ने अपनी अंतरिम जमानत अर्जी में कहा है कि उसकी मां उमेश गंभीर रूप से बीमार है और वह सघन देखभाल इकाई (आईसीयू) में भर्ती है।

याचिका में दावा किया गया है कि उमेश का इलाज कर रहे चिकित्सकों ने उसकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए तत्काल सर्जरी की सलाह दी है।

नीतीश कटारा हत्याकांड में शीर्ष अदालत ने विकास यादव को तीन अक्टूबर 2016 को 25 साल की कैद की सजा सुनाई थी।

विकास यादव उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके डीपी यादव का बेटा है। उसके फुफेरे भाई विशाल यादव को भी नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या से जुड़े मामले में दोषी करार देते हुए 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।

विकास और विशाल अपनी बहन (डीपी यादव की बेटी) भारती यादव से नीतीश के कथित प्रेम संबंधों के खिलाफ थे, क्योंकि दोनों अलग जाति से ताल्लुक रखते थे।

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश



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