(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 10 मार्च (भाषा) नेपाल के काठमांडू में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित राजशाही समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें दिखाए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया।
देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद 77 वर्षीय ज्ञानेंद्र रविवार को जैसे ही पोखरा से ‘सिमरिक एयर हेलीकॉप्टर’ में सवार होकर त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे, राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए।
रैली का उद्देश्य नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए समर्थन प्रदर्शित करना था। हवाई अड्डे के बाहर सड़क के दोनों ओर ज्ञानेंद्र की तस्वीर और राष्ट्रीय ध्वज लिए मोटरसाइकिलों पर सवार सैकड़ों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। कुछ समर्थकों ने ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ आदित्यनाथ की तस्वीर भी दिखाई।
हालांकि, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ की तस्वीर शामिल किए जाने की विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर आम जनता ने भी कड़ी आलोचना की।
इस आलोचना के बाद आरपीपी प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने आरोप लगाया कि आदित्यनाथ की तस्वीर का प्रदर्शन केपी ओली के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
उन्होंने ओली सरकार पर घुसपैठ के जरिए इस कदम को अंजाम देने का आरोप लगाया। शाही ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री केपी ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल के निर्देश पर ओली की सलाह पर रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर प्रदर्शित की गई।’’
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रिमल ने आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए कहा, ‘‘यह अयोग्य लोगों द्वारा गलत सूचना के माध्यम से बनाया गया भ्रम था, जो गलती से एक जिम्मेदार पद पर पहुंच गए।’’
ज्ञानेंद्र ने जनवरी में उत्तर प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान कथित तौर पर आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। पूर्व राजा के समर्थक पिछले कुछ दिनों से काठमांडू और पोखरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रैली कर रहे हैं और 2008 में जन आंदोलन के बाद समाप्त की गई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
भाषा
संतोष नरेश
नरेश