नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) निर्वाचन अधिकारी आरके गौबा ने शुक्रवार को भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के आगामी चुनावों को रोक दिया क्योंकि दिल्ली और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालयों ने बीएफआई को आदेश दिया कि वे उन नामों को शामिल करें जिन्हें संस्था के अध्यक्ष अजय सिंह के सात मार्च के निर्देश के कारण निर्वाचन मंडल से हटा दिया गया था।
सिंह ने शुक्रवार को गौबा को पत्र लिखकर कहा कि बीएफआई दो उच्च न्यायालयों द्वारा जारी किए गए ‘परस्पर विरोधी आदेशों’ के कारण उच्चतम न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। चुनाव 28 मार्च को होने हैं।
गौबा ने सिंह के हवाले से अपने आदेश में कहा, ‘‘बीएफआई के अध्यक्ष ने बताया है कि चूंकि इन आदेशों से चल रही चुनावी प्रक्रिया और कार्यक्रम बाधित होने की संभावना है इसलिए हम तत्काल हस्तक्षेप के लिए उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए कदम उठा रहे हैं। ’’
गौबा ने कहा कि सिंह ने अनुरोध किया कि ‘‘उच्च न्यायालयों के परस्पर विरोधी आदेशों पर कार्रवाई करने से पहले आगे के आदेशों की प्रतीक्षा की जाए।’’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीएफआई को चुनाव कराने के लिए कहा था, जबकि सात मार्च के आदेश पर रोक लगा दी गई थी जिसमें उन सभी लोगों को निर्वाचन मंडल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था जो अपने राज्य संघों के निर्वाचित सदस्य नहीं हैं।
बीएफआई अध्यक्ष के निर्देश के कारण पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को अयोग्य घोषित कर दिया गया था जो शीर्ष पद के लिए सिंह को चुनौती देने का इरादा रखते हैं और अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे थे।
हिमाचल न्यायालय ने हालांकि बीएफआई को नामांकन की समय सीमा बढ़ाने का निर्देश दिया ताकि ठाकुर अपना नामांकन दाखिल कर सकें और कहा कि वर्तमान बीएफआई प्रमुख के पास सख्त आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है।
गौबा ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया तब तक रुकी रहेगी जब तक बीएफआई उन्हें अदालत के आदेशों के जवाब में उठाए गए कदमों के बारे में सूचित नहीं करता।
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार, प्रक्रिया तब तक रुकी हुई है जब तक बीएफआई अदालत के आदेशों के मद्देनजर की गई कार्रवाई के बारे में सूचित नहीं करता। ’’
चुनावों में काफी देर हो चुकी है और यह अंतहीन विवादों में घिरा है। इस महीने की शुरुआत में घोषित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव 28 मार्च को होने थे।
नामांकन की अवधि 14 से 16 मार्च थी जबकि नामांकन की जांच मंगलवार को हुई।
संस्था को मूल रूप से दो फरवरी से पहले चुनाव कराने थे लेकिन आईओए द्वारा तदर्थ समिति नियुक्त करने के बाद ही यह कार्रवाई शुरू हुई।
बीएफआई ने इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसने तदर्थ पैनल पर रोक लगा दी।
भाषा नमिता आनन्द
आनन्द