नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) निर्वाचन आयोग (ईसी) से 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए मतदान से संबंधित आंकड़े जारी करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने मंगलवार को आयोग से मुलाकात की तथा बाद में कहा कि ‘कोई सार्थक या महत्वपूर्ण जवाब नहीं मिला।’
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)’ ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि वह निर्वाचन आयोग को मतदान से संबंधित आंकड़े जारी करने का निर्देश दे।
एडीआर ने 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर करते हुए अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय निर्वाचन आयोग को निर्देश दे कि सभी मतदान केंद्रों के फॉर्म 17 सी भाग-एक (रिकॉर्ड किए गए मतों का लेखा-जोखा) की स्कैन की गई सुपाठ्य प्रतियां मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं।
पिछले महीने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से 10 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा था।
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार याचिकाकर्ताओं से मिलना चाहते हैं और उनकी शिकायतों पर चर्चा करना चाहते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण और जगदीप छोकर तथा मोइत्रा ने यहां निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंन कहा कि कि बैठक का कोई परिणाम नहीं निकला।
निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों ने उनसे मुलाकात नहीं की।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे इस मामले पर अदालत में आगे भी अपना पक्ष रखेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अधिकारियों को बताया कि मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में विसंगतियां हैं तथा निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता दांव पर लगी है।
मोइत्रा ने दावा किया कि 2019 और 2024 दोनों लोकसभा चुनावों में मतदान संबंधी आंकड़ों में विसंगतियां रही हैं।
मोइत्रा ने कहा, ‘‘पिछले दो चुनावों में कई निर्वाचन क्षेत्रों में गिने गए मतों की संख्या और मशीन में दर्ज मतों की संख्या में भारी विसंगतियां रही हैं। दूसरा अंतर मतदान प्रतिशत का है – मतदान के दिन शाम सात बजे किसी मतदान केंद्र पर मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत था और मतदान के अंत में हमें पता चलता है कि मतदान 80 प्रतिशत है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता ‘अब तक के सबसे निचले स्तर’ पर पहुंच गई है, खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद।
भाषा राजकुमार माधव
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