निर्यातकों ने ब्याज समानीकरण योजना के विस्तार की मांग की |

Ankit
2 Min Read


नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) भारतीय निर्यातक समुदाय ने रविवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) को बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि उन्हें सस्ती दर पर ऋण मिल सके।


गौरतलब है कि उनकी मांग का बजट में उल्लेख नहीं किया गया है। यह योजना पिछले साल 31 दिसंबर को समाप्त हो गई थी।

निर्यातकों के अनुसार, इस योजना ने उन्हें ऐसे समय में प्रतिस्पर्धी दरों पर रुपया निर्यात ऋण पाने में मदद की, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मुश्किलों का सामना कर रही है। निर्यातकों को इस योजना के तहत निर्यात से पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण के लिए सब्सिडी मिलती थी।

उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय निर्यात-आयात (एक्जिम) समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि बजट में की गई घोषणाओं से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन ‘हम वित्त मंत्री से अनुरोध करते हैं कि वह सभी निर्यातकों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कृपया इस योजना को बहाल करें।’

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि आईईएस और एमएआई (बाजार पहुंच पहल) को शामिल करते हुए निर्यात संवर्धन योजना के तहत वाणिज्य मंत्रालय ने 2,250 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। आईईएस को एक जनवरी से 10 करोड़ रुपये की सीमा के साथ बढ़ाया जा सकता है और 2025-26 के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को तत्काल मंजूरी दी जा सकती है।

बुधिया ने यह भी कहा कि बजट में कुछ कच्चे माल पर सीमा शुल्क में कटौती और राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की शुरुआत से निर्यात और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

पैटन समूह के प्रबंध निदेशक बुधिया ने कहा, “उत्पादन के लिए कई कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क में कमी और औद्योगिक वस्तुओं के लिए सीमा शुल्क संरचना को युक्तिसंगत बनाने से देश की निर्यात क्षमता में काफी वृद्धि होगी।”

भाषा पाण्डेय अनुराग

अनुराग



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *