नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) संसद की एक समिति ने पर्यटन मंत्रालय की ‘सर्वश्रेष्ठ ग्राम प्रतियोगिता’ कार्यक्रम की सराहना की है लेकिन साथ ही कहा कि वह इस बात से ‘निराश’ है कि पिछले एक साल में केवल एक आदर्श ग्रामीण क्लस्टर की पहचान की गई है और जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
‘विशिष्ट पर्यटन (आध्यात्मिक पर्यटन सहित), थीम आधारित पर्यटक परिपथों और संभावित पर्यटन स्थलों का विकास’ विषय से संबंधित समिति की 357वें प्रतिवेदन में निहित सिफारिशों व टिप्पणियों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट सोमवार को संसद में प्रस्तुत की गई।
रिपोर्ट में भारतीय मिशनों द्वारा विदेशों में पर्यटन को बढ़ावा देने के बारे में अपनी टिप्पणी पर समिति ने कहा कि वह विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की क्षमता की सराहना करती है लेकिन उसे लगता है कि विदेश मंत्रालय विदेश में भारतीय मिशनों में पर्यटन मंत्रालय के ऐसे अधिकारियों को तैनात करने की संभावना तलाश सकता है, जो अच्छी तरह से प्रशिक्षित और पर्यटन को बढ़ावा देने में अनुभवी हैं।
इस अवलोकन के जवाब में, पर्यटन मंत्रालय ने कहा, ‘पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक और दूरगामी प्रयास करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय विदेश मंत्रालय के प्रयासों के पूरक के रूप में पर्यटन प्रचार प्रयासों के लिए विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा, जैसा कि प्रस्तावित किया गया है।’
अपनी रिपोर्ट में, समिति ने आगे कहा कि यह भी सूचित किया गया है कि ‘विदेश मंत्रालय पर्यटन के शीर्ष 20 स्रोत बाजारों में पहले से नामित 20 पर्यटन अधिकारियों के अलावा’ सभी मिशनों में पर्यटन अधिकारियों को नामित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि पर्यटन को बढ़ावा देने में ‘अंतर’ को समझने और प्रत्येक हितधारक से आवश्यक कार्यों की पहचान करने के लिए मिशनों और टूर ऑपरेटरों जैसे अन्य हितधारकों को शामिल करके नियमित अंतराल पर दोनों मंत्रालयों के बीच डिजिटल माध्यम से बैठकें आयोजित की जा सकती हैं।
समिति ने कहा कि वह नियुक्ति के बाद से पर्यटन अधिकारियों द्वारा भारतीय हितधारकों और विदेशी पर्यटन एजेंटों के साथ सीमित संख्या में बैठकों को लेकर चिंतित है। मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बेहतर संचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नियमित और लगातार बैठकें निर्धारित की जाएं।
ग्रामीण पर्यटन के संदर्भ में समिति ने कहा कि वह मंत्रालय द्वारा शुरू की गई सर्वश्रेष्ठ ग्राम प्रतियोगिता की सराहना करता है लेकिन उसे यह जानकर निराशा हुई कि पिछले एक साल में केवल एक मॉडल ग्रामीण क्लस्टर की पहचान की गई और जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
समिति ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल किए जाने वाले गांव दूर-दराज के इलाकों और सीमाओं के करीब स्थित हैं, जो अक्सर दुर्गम इलाकों में होते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति का मानना है कि उत्तराखंड राज्य में समृद्ध परंपराओं और स्थानीय संस्कृति वाले सीमावर्ती गांव हैं और मंत्रालय उत्तराखंड में एक निश्चित समयावधि के भीतर आदर्श ग्रामीण क्लस्टर विकसित करने के लिए ठोस प्रयास कर सकता है।’
रिपोर्ट में पर्यटन मंत्रालय ने कहा कि समिति के सुझावों पर ध्यान दिया गया है।
संसदीय समिति ने यह भी कहा कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद वैश्विक एमआईसीई (बैठकों, प्रोत्साहनों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों) में भारत की हिस्सेदारी ‘एक प्रतिशत से कम’ है।
समिति ने कहा, ”अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस और सम्मेलन संघ (आईसीसीए) की 2019 रैंकिंग में 158 बैठकों के साथ भारत 28वें स्थान पर था। अंतरराष्ट्रीय संघों की बैठकों की संख्या के मामले में आईसीसीए द्वारा शहरों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारतीय शहरों को खराब स्थान दिया गया है।’
भाषा ब्रजेन्द्र प्रशांत
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