श्रीनगर, 17 अप्रैल (भाषा) हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है और उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय इस कानून को खारिज कर देगा।
उच्चतम न्यायालय ने पांच मई तक ‘उपयोग के आधार पर वक्फ’ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करने और केंद्रीय वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में नियुक्तियां न करने का केंद्र सरकार से आश्वासन लेने के साथ ही उसे संबंधित अधिनियम की वैधता पर जवाब दाखिल करने के लिए बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया।
‘उपयोग के आधार पर वक्फ’ संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य से इस्तेमाल की जा रही संपत्ति होती है, जिसके लिए लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री की जरूरत नहीं होती।
कानून की संवैधानिक वैधता को कई संगठनों और व्यक्तियों ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी हुई है।
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर सरकार से उच्चतम न्यायालय द्वारा कुछ कठिन सवाल पूछे जाने और कानून पर उसके अंतरिम रुख का स्वागत है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड में कोई नया सदस्य नहीं जोड़ा जाएगा और ‘वक्फ-बाय-यूजर’ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।’
उन्होंने कहा, “यह उन मुसलमानों को उम्मीद देता है जो राहत और इंसाफ के लिए इसे (अदालत को) अपने अंतिम उपाय के रूप में देखते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि उच्चतम न्यायालय इस पक्षपातपूर्ण और अतिशय अधिनियम को रद्द कर देगा जो विशाल मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है।”
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नोमान सुरेश
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