नए हवाई अड्डों, उड़ान योजना से हवाई संपर्क में काफी सुधार हुआ: आर्थिक समीक्षा |

Ankit
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नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आर्थिक समीक्षा में शुक्रवार को कहा गया कि नए हवाई अड्डों और क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना से देश में हवाई संपर्क में काफी सुधार हुआ है। समीक्षा में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि हवाई अड्डा विकसित करने वालों और परिचालकों ने वित्तवर्ष 2019-20 और 2024-25 के दौरान लक्ष्यित 91,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का 91 प्रतिशत हिस्सा हासिल कर लिया है।


संसद में पेश वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार है। हवाई यातायात में पर्याप्त वृद्धि को समायोजित करने के लिए, भारतीय एयरलाइनों ने वैश्विक स्तर पर विमानों के लिए सबसे बड़े ऑर्डर दिए हैं।’’

घरेलू एयरलाइनों ने बढ़ती हवाई यातायात मांग के बीच अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 1,700 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए हैं।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के क्षेत्र में सरकार मूल उपकरण निर्माताओं को भारत में अपने केन्द्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इस क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए नीतियां पेश की हैं।

इसमें कहा गया, ‘‘उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) योजना के तहत नए हवाई अड्डों और बेहतर क्षेत्रीय संपर्क ने हवाई संपर्क में पर्याप्त सुधार किया है।’’

उड़ान योजना के तहत अब तक 88 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 619 मार्गों को चालू किया गया है। इसमें दो जल हवाई अड्डे और 13 हेलीपोर्ट शामिल हैं।

हवाई अड्डे की ‘कार्गो हैंडलिंग’ (सामानों की देखरेख) क्षमता धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो वित्तवर्ष 2024 में 80 लाख टन तक पहुंच गई।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘हवाई अड्डा परिचालकों और विकासकर्तों, जिनमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण भी शामिल है, ने वित्तवर्ष 2019-20 से 2024-25 तक 91,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजीगत व्यय योजना पर काम किया है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘इसमें से लगभग 91 प्रतिशत काम नवंबर 2024 तक पूरा हो गया था।’’

भारत में 31 अक्टूबर, 2024 तक ड्रोन गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें 140 दूरस्थ पायलट प्रशिक्षण संगठनों के जरिये 18,862 दूरस्थ पायलट प्रमाणपत्र जारी किए गए। देश में 26,659 पंजीकृत ड्रोन और 82 स्वीकृत ड्रोन मॉडल हैं।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘ड्रोन निर्माण का समर्थन करने के लिए पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना के तहत लगभग 60.6 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।’’

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय



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