द. कोरिया के जांचकर्ता महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून को हिरासत में लेने के लिए सियोल रवाना

Ankit
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सियोल, तीन जनवरी (एपी) दक्षिण कोरिया की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने महाभियोग का सामना कर रहे देश के राष्ट्रपति यून सुक येओल को हिरासत में लेने के वारंट की तामील करने के लिए शुक्रवार को जांचकर्ताओं को सियोल भेजा जहां यून के आवास पर सैकड़ों समर्थक एकत्र हैं।


उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाले कार्यालय के जांचकर्ताओं को सुबह-सुबह ग्वाचेन शहर में अपने मुख्यालय से रवाना होते देखा गया। कार्यालय ने यह पुष्टि नहीं की कि कितने जांचकर्ता भेजे गए हैं।

दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने यून सुक येओल को हिरासत में लेने तथा उनके कार्यालय की तलाशी लेने के लिए हाल में वारंट जारी किया था।

जांच एजेंसी ने एक बयान में बताया था कि ‘सियोल वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ ने इस महीने की शुरुआत में लागू किए गए अल्पकालिक मार्शल लॉ संबंधी मामले में यून सुक येओल को हिरासत में लेने और राष्ट्रपति कार्यालय की तलाशी लेने के लिए वारंट जारी किया।

एजेंसी ने कहा कि वह इस बात की जांच कर रही है कि तीन दिसंबर को यून द्वारा लगाया गया अल्पकालिक ‘मार्शल लॉ’ विद्रोह के समान था या नहीं।

यून के आवास के आस-पास हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की फिलहाल कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।

अगर यून को हिरासत में लिया जाता है तो भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी के पास जांच करने के लिए 48 घंटे का समय होगा। इसके बाद उसे या तो उनकी औपचारिक गिरफ्तारी के लिए वारंट का अनुरोध करना होगा या उन्हें रिहा करना होगा। यून के रक्षा मंत्री, पुलिस प्रमुख और कई शीर्ष सैन्य कमांडर को मार्शल लॉ लागू करने में उनकी कथित भूमिका को लेकर पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

यून सुक येओल के वकील यून कैप-क्यून ने वारंट को अवैध करार दिया है।

यून पूछताछ के लिए उपस्थित होने के जांच दल और सरकारी अभियोजकों के कई अनुरोधों को पहले टाल चुके हैं और उन्होंने अपने कार्यालयों की तलाशी की प्रक्रिया को भी बाधित किया है।

दक्षिण कोरिया में अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने का आदेश देने पर ‘नेशनल असेंबली’ में राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव 14 दिसंबर को पारित हो गया था।

इसके बाद राष्ट्रपति के तौर पर यून की शक्तियां को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया जब तक कि संवैधानिक अदालत उन्हें पद से हटाने अथवा उनकी शक्तियों को बहाल करने का फैसला नहीं सुना देती।

एपी सिम्मी

सिम्मी



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