मुंबई, एक मार्च (भाषा) भारत के पूर्व कप्तान और कोच राहुल द्रविड़ ने शनिवार को उम्मीद जताई कि कृत्रिम मेधा (एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) खिलाड़ियों की चोटों की भविष्यवाणी करने में सक्षम होगी लेकिन उन्होंने क्रिकेट के खेल में प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग और निर्भरता के खिलाफ चेतावनी भी दी।
द्रविड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति के बावजूद खिलाड़ियों की चोटों के अंदाजा लगाने के मामले में हम पीछे हैं।
द्रविड़ ने शनिवार को यहां ‘एएमएफआई म्यूचुअल फंड’ शिखर सम्मेलन के दौरान एक पैनल चर्चा में कहा, ‘‘खेल के मैदान पर आप ‘एआई’ के इस्तेमाल को लेकर जिन चीजों के बारे में आप वास्तव में आशान्वित हैं कि उनमें क्या वह (भविष्य में) चोटों के बारे में आगाह कर सकता है।’’
पूर्व दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ आप बस हमारी चोटों के स्तर को देखें और वास्तव में किसी के पास इसका सटीक उत्तर नहीं है कि लोग ‘स्ट्रेस फ्रैक्चर’ का सामना क्यों कर रहे हैं। मैं उदाहरण के लिए के तौर पर तेज गेंदबाजों को होने वाले पीठ के स्ट्रेस फ्रैक्चर का जिक्र करना चाहूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आपने पिछले वर्षों में बहुत सारा डेटा, खेल चिकित्सा, विज्ञान और इसमें शामिल होने वाली बहुत सारी चीजें देखी हैं लेकिन कोई भी वास्तव में इसकी भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं है। यह दुखद है यह खिलाड़ियों के करियर और जीवन के बारे में है। इसलिए अगर ‘एआई’ हमें वहां पहुंचा सकता है और हम चोटों की भविष्यवाणी करने में सक्षम होंगे।’’
द्रविड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ मानवीय फैसलों में सही संतुलन बनाना काफी जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप इसे पूरी तरह से अपनाये, लेकिन निश्चित रूप से यह एक शानदार उपकरण है। यह कुछ ऐसा है जिसका उपयोग खेल में रणनीति बनाने और खिलाड़ियों के विकास में किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज के युग में आपको अपने फायदे के लिए इस सभी डेटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम होना होगा। आप हालांकि इसके गुलाम नहीं बन सकते। लेकिन निश्चित रूप से कृत्रिम मेधा का उपयोग करने के बहुत बड़े फायदे हैं। आपको इसके इस्तेमाल को लेकर संतुलन बनाना होगा।’’
तकनीक खिलाड़ियों के ‘निष्पक्ष चयन’ में मदद कर सकती है। यह हालांकि अलग-अलग स्थानों पर खेलते समय टीमों के सामने आने वाली विभिन्न परिस्थितियों के लिए खिलाड़ियों के सही चयन में कारगर नहीं होगा।
इस पूर्व महान बल्लेबाज ने प्रमुख भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का उदाहरण दिया जो पीठ से संबंधित समस्या के कारण चल रही चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेल पा रहे है। द्रविड़ जब भारत के मुख्य कोच थे, तब भी इसी तरह की समस्या के कारण बुमराह लंबे समय तक खेल से दूर रहे थे। पूर्व कप्तान ने कहा कि तकनीक पर बहुत अधिक निर्भरता से भी मदद नहीं मिलेगी।
उन्होंने चुटिले अंदाज में कहा, ‘‘क्या हम पांच बुमराह की तरह का कोई और गेंदबाज बना सकते हैं? मेरा मतलब है, मैं बस यह पूछ रहा हूं, लेकिन वह भी मजेदार नहीं होगा, है ना? मेरा मतलब है इसमें क्या मजा होगा, फिर विशेषता कहां रहेगी?’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम ‘एआई’ का खेल में ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहते है। इसमें वह मानवीय तत्व होना चाहिए। खेल में विशिष्टता का एक स्तर होना चाहिए। बुमराह अद्वितीय है क्योंकि जो काम बुमराह करता है उसे करना बहुत कठिन है।’’
भाषा आनन्द आनन्द नमिता
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