दुनिया के 64 प्रतिशत उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाने को तैयार : टीसीएस अध्ययन |

Ankit
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नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 10 में से छह से अधिक उपभोक्ता अपना अगला वाहन खरीदते समय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पर विचार करने को तैयार हैं लेकिन उनमें से 60 प्रतिशत लोग चार्जिंग ढांचे को एक बड़ी चुनौती मानते हैं। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह निष्कर्ष पेश किया गया है।


सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता टाटा कंसल्टेंसी सर्सिवेज (टीसीएस) ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मौजूद लोगों के बीच कराए गए एक अध्ययन के ये नतीजे जारी किए हैं। इनमें से 56 प्रतिशत लोग एक ईवी के लिए 40,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 35 लाख रुपये) तक का भुगतान करने को तैयार दिखे।

टीसीएस ने बयान में कहा कि अध्ययन में वाहन विनिर्माता, चार्जिंग ढांचा खड़ा करने वाले, वाहनों का बेड़ा संचालित करने वाले, उपभोक्ता और ईवी को प्रोत्साहन देने वाले लोग शामिल थे।

सर्वेक्षण के मुताबिक, 90 प्रतिशत विनिर्माताओं का मानना ​​​​था कि बैटरी प्रौद्योगिकी में सुधार से इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज और चार्जिंग गति बढ़ेगी। इसके अलावा निकट भविष्य में ईवी के डिजाइन और प्रदर्शन पर भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

इसके साथ ही 74 प्रतिशत विनिर्माताओं ने कहा कि चार्जिंग ढांचे की उपलब्धता ईवी बाजार की वृद्धि को सीमित करने वाली सबसे बड़ी अड़चन बनी हुई है।

करीब 60 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने चार्जिंग ढांचे को बड़ी चुनौती बताया, जबकि उनमें से 64 प्रतिशत ने ईवी को अपने अगले वाहन के रूप में चुनने की संभावना जताई।

इसके साथ ही 56 प्रतिशत प्रतिभागी पारंपरिक वाहनों की तुलना में ईवी के लिए 40,000 अमेरिकी डॉलर तक का भुगतान करने को तैयार हैं।

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में 72 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने अपने अगले वाहन के रूप में ईवी खरीदने की संभावना जताई है।

टीसीएस के अध्यक्ष (विनिर्माण) अनुपम सिंघल ने कहा कि ईवी उद्योग एक निर्णायक चौराहे पर है जो पैमाने और परिवर्तन की जटिलताओं को रेखांकित कर रहा है।

सिंघल ने कहा, ‘‘जहां करीब दो-तिहाई उपभोक्ता अपने अगले वाहन के रूप में ईवी चुनने को तैयार हैं, वहीं निर्माताओं को उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकी, जटिल वाहन डिजाइन और उत्पादन से जुड़े अर्थशास्त्र जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय



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