(बप्पादित्य चटर्जी)
कोलकाता, 16 मार्च (भाषा) भारतीय कंपनियां दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की नियुक्ति में तेजी ला रही हैं, क्योंकि वे इसे ‘सामाजिक अनिवार्यता’ और बढ़ती विविधता, समानता और समावेश (डीईआई) प्रतिबद्धताओं के बीच ‘रणनीतिक व्यावसायिक लाभ’ के रूप में देख रही हैं।
हितधारकों का कहना है कि भारतीय कॉरपोरेट घरानों में ऐसे लोगों को शामिल करने की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है। पिछले तीन वर्षों में समावेशी भूमिकाओं के लिए नौकरी भर्तियों में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस्पात और खनन क्षेत्रों से लेकर बीमा क्षेत्र तक की भारतीय कंपनियां अपने यहां दिव्यांगों को शामिल करने के लिए कार्यस्थल की सुलभता पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अनूप राउ ने कहा कि बीमा कंपनी ने अपने कार्यबल में दिव्यांगों को शामिल करने की उपलब्धि हासिल कर ली है।
राउ ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हमारे कार्यबल में कम से कम एक प्रतिशत दिव्यांगों को शामिल करने की प्रतिबद्धता हमारी इस धारणा पर आधारित है कि समावेशन केवल एक बॉक्स पर निशान लगाने या लागू करने वाली नीति नहीं है – यह एक सार्थक बदलाव लाने की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में कंपनी के दिव्यांग कर्मचारियों की संख्या 16 क्षेत्रीय शाखाओं में 16 से बढ़कर 41 हो गई है, तथा दिव्यांग कर्मचारियों में लगभग 22 प्रतिशत महिलाएं हैं।
भाषा अजय अनुराग
अजय