पटना, आठ फरवरी (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को दावा किया कि दिल्ली में सत्ता विरोधी भावना ने आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ काम किया और ऐसी ही भावना बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को भी नुकसान पहुंचाएगी।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
वामपंथी नेता ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान इस बात को खारिज कर दिया कि कांग्रेस ने ‘आप’ के वोट काटे, जिसके कारण अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘दिल्ली में देखा गया है कि लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में लोगों ने भाजपा को वोट दिया, लेकिन विधानसभा चुनाव में ‘आप’ का समर्थन किया। इस बार, ऐसे मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के पक्ष में वोट दिया।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस और ‘आप’ के बीच बेहतर समझ होती, तो भाजपा को कड़ी टक्कर मिलती।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘लेकिन ‘आप’ को इससे सबक सीखना चाहिए। उसे 10 प्रतिशत से अधिक वोटों का नुकसान हुआ है। उसे इस बात पर विचार करना चाहिए कि उसने आम आदमी का विश्वास कैसे खो दिया।’’
भाकपा (माले) लिबरेशन के नेता ने हालांकि आरोप लगाया कि दिल्ली में चुनाव ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुए’ और निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को डराने-धमकाने और मतदाता सूची में हेराफेरी की शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
वामपंथी नेता ने कहा, ‘महाराष्ट्र में इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया, जहां भाजपा और उसके सहयोगियों ने शानदार जीत हासिल की थी। दिल्ली में भी यही कहानी दोहराई गई। अगर चीजें इसी तरह चलती रहीं, तो चुनाव एक तमाशा बनकर रह जाएंगे।’
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के नेता तेजस्वी यादव ने हाल में कहा था कि ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन ‘लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए’ किया गया था, जिसे मीडिया के एक वर्ग ने क्षेत्रीय दलों द्वारा कांग्रेस को समायोजित करने की अनिच्छा का संकेत बताया।
यादव के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर वाम नेता ने कहा, ‘‘वह बयान दिल्ली में कांग्रेस और ‘आप’ के अलग-अलग चुनाव लड़ने के संदर्भ में दिया गया था लेकिन बिहार में महागठबंधन बहुत पुराना है। हमने 2020 में एक साथ चुनाव लड़ा और 2025 में फिर से साथ लडेंगे। हम यहां भाजपा को हराएंगे, जैसा हमने पड़ोसी राज्य झारखंड में किया। दिल्ली में 10 साल के शासन के खिलाफ विरोध की लहर ‘आप’ पर भारी पड़ी। बिहार के लोग 20 साल से भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशासन को झेल रहे हैं।’
भाषा अनवर सिम्मी
सिम्मी