दिल्ली उच्च न्यायालय पीएफआई पर प्रतिबंध के खिलाफ 11 सितंबर को सुनवाई करेगा

Ankit
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नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका पर 11 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। याचिका में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें केंद्र द्वारा संगठन पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध की पुष्टि की गई है।


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने प्रतिबंधित संगठन के वकील से कहा कि वह यूएपीए न्यायाधिकरण के आदेश की जांच करते समय न्यायालय द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अधिकार क्षेत्र की ‘रूपरेखा’ को परिभाषित करने के लिए एक संक्षिप्त नोट दें।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता यूएपीए न्यायाधिकरण के आदेश को ‘गुण-दोष’ के आधार पर चुनौती नहीं दे सकते, क्योंकि इसकी अनुमति नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह निर्णय सभी प्रासंगिक सामग्रियों पर विचार करने के बाद लिया गया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि न्यायाधिकरण ने जिन तथ्यों एवं सबूतों पर विचार करने के बाद आदेश पारित किया वह ‘‘कानून के ज्ञात सिद्धांतों के विपरीत’’ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा बचाव के लिए उठाए गए तथ्यों पर कोई ‘निष्कर्ष’ नहीं निकला।

अपनी याचिका में पीएफआई ने यूएपीए न्यायाधिकरण के 21 मार्च के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें केंद्र द्वारा 27 सितंबर, 2022 को उसे प्रतिबंधित करने के फैसले की पुष्टि की गई थी। केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।

सितंबर 2022 में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा छापेमारी और अखिल भारतीय स्तर पर की गई कार्रवाई में पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया।

भाषा धीरज वैभव

वैभव



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