नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में जेल में बंद जम्मू कश्मीर के बारामूला लोकसभा क्षेत्र से सांसद अब्दुल रशीद शेख की उस याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्हें संसद के चालू सत्र में भाग लेने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ शुरू में अनुमति देने के पक्ष में थी लेकिन उसने बाद में कहा कि इस बारे में विस्तृत आदेश पारित किया जाएगा।
पीठ ने कुछ शर्तों पर विचार-विमर्श किया जो याचिका स्वीकार होने की स्थिति में रशीद पर लगाई जा सकती हैं। लोकसभा अध्यक्ष से यह अनुरोध किया जा सकता है कि वह रशीद के साथ एक पुलिस अधिकारी को संसद परिसर में जाने की विशेष अनुमति प्रदान करें।
रशीद की याचिका का राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि न्यायालय का संसद के अंदर कोई अधिकारक्षेत्र नहीं होगा।
निचली अदालत ने रशीद की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी थी।
रशीद पर 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चल रहा है।
रशीद ने 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
एनआईए ने 17 मार्च को दाखिल जवाब में दलील दी कि रशीद को सांसद के रूप में अपने दर्जे का उपयोग करके ‘‘कारावास की कठोर सजा से बचने’’ की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जांच एजेंसी ने कहा कि रशीद को न तो अंतरिम जमानत दी जा सकती है और न ही अभिरक्षा पैरोल दी जा सकती है क्योंकि हिरासत में रहते हुए उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है।
भाषा सिम्मी नेत्रपाल
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