नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कुछ राजनेताओं द्वारा पुराने बारापुला सेतु क्षेत्र में मद्रासी कैंप के निवासियों को दिए गए बेदखली नोटिस के खिलाफ आंदोलन और विरोध करने पर आपत्ति जताई क्योंकि मामला पहले से ही अदालत में लंबित है।
अदालत ने कहा कि अगर अतिक्रमण के कारण परियोजना विफल हो जाती है, तो शहर में फिर से बाढ़ आएगी। अदालत ने इसे ‘‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया कि पानी को यमुना नदी में बहने नहीं दिया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राजनेताओं का इरादा केवल चुनाव जीतना है और उन्हें शहर के बुनियादी ढांचे और स्थिति को सुधारने की कोई चिंता नहीं है।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जंगपुरा में झुग्गी बस्ती के निवासियों को बेदखली के नोटिस मिलने के कुछ दिनों बाद, आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के नेताओं ने निवासियों से मुलाकात की और उन्हें समर्थन देने का वादा किया। दोनों दलों ने बेदखली नोटिस के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि यमुना में पानी के प्रवाह के लिए अतिक्रमण को हटाना होगा अन्यथा शहर को फिर से बाढ़ का सामना करना पड़ेगा।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ‘‘अगर पानी को यमुना तक नहीं पहुंचने दिया गया और अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो शहर में एक और बाढ़ के लिए तैयार रहें। अगर वे चाहें तो नाव खरीद सकते हैं। शहर को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अगर प्रशासन इस मुद्दे को हल करना चाहता है तो यह पांच मिनट का काम है लेकिन इसे हल करने के बजाय, वे वहां राजनीतिक आंदोलन कर रहे हैं। यदि इरादा नहीं है तो आप इसे अगले 50 वर्षों में भी हल नहीं कर सकते।’’
भाषा शफीक माधव
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