नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दो मामलों में आरोप तय करने को टालने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा ने मामले में ईडी को नोटिस जारी किया और निचली अदालत से आरोपों पर दलीलें 29 मई तक के लिए स्थगित करने को कहा।
शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद ने कहा कि जब तक अनुसूचित अपराधों, अर्थात सीबीआई के कथित चीनी वीजा और एयरसेल मैक्सिस मामलों में आरोप तय नहीं हो जाते, तब तक निचली अदालत में संबंधित धनशोधन मामलों में आरोपों पर दलीलें शुरू नहीं होनी चाहिए।
अदालत ने 9 अप्रैल को कहा, ‘‘मेरे विचार से, इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। नोटिस जारी करें.. चार सप्ताह की अवधि के भीतर जवाब दाखिल करें।’’
आदेश में कहा गया, ‘‘29 मई 2025 के लिए सूचीबद्ध करें। इस बीच, विद्वान विशेष न्यायाधीश को निर्देश दिया जाता है कि वह आरोपों पर बहस को इस अदालत द्वारा तय की गई तारीख के बाद की तारीख तक के लिए स्थगित कर दें।’’
कार्ति ने निचली अदालत के 28 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ आरोपों पर बहस स्थगित करने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
यह स्पष्ट करते हुए कि वह धनशोधन संबंधी मामलों में मुकदमे पर कोई स्थगन नहीं मांग रहे हैं और उनका मामला ‘‘केवल आरोपों के लिए’’ है, उनके वकील ने इस बात पर जोर दिया था कि निचली अदालत को 15 अप्रैल को मामले की सुनवाई करनी है और अगर वहां सुनवाई जारी रहती है तो यह उनके लिए अनुचित होगा।
कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए।
कार्ति की याचिका में कहा गया कि ईडी के मामलों का आधार संदिग्ध है, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति को अनुसूचित अपराध में आरोपमुक्त या बरी कर दिया जाए या उसे रद्द कराने में सफलता मिल जाए, तो धनशोधन के अपराध में आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
भाषा
नेत्रपाल अविनाश
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