दंगे, तनाव से बचने के लिए औरंगजेब की कब्र को संरक्षित स्मारक सूची से हटाएं : शिवसेना (उबाठा) |

Ankit
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मुंबई, 19 मार्च (भाषा) शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने महाराष्ट्र में दंगों को रोकने और उन्मादियों के आक्रोश को शांत करने के लिए केंद्र सरकार से राज्य के छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हासिल संरक्षित स्मारक का दर्जा खत्म करने की बुधवार को मांग की।


मध्य नागपुर में सोमवार देर शाम करीब साढ़े सात बजे हिंसा भड़क गई थी और पुलिस बल पर पथराव किया गया था, जब यह अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर एक दक्षिणपंथी संगठन की ओर से किए गए प्रदर्शन के दौरान एक समुदाय के धार्मिक ग्रंथ को जला दिया गया।

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में लिखा कि फिल्म ‘छावा’ की रिलीज के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘नव-हिंदुत्ववादी’ औरंगजेब की कब्र को लेकर माहौल खराब कर रहे हैं।

विक्की कौशल अभिनीत ‘छावा’ मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जिनकी औरंगजेब ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह फिल्म 14 फरवरी को रिलीज हुई थी।

संपादकीय में लिखा गया है, ‘‘औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए यह तमाशा करने की जरूरत नहीं है। औरंगजेब अपनी कब्र में है और वह कभी उठकर बाहर नहीं आएगा।’’

लेख में कहा गया है कि छत्रपति संभाजीनगर (जिसे पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था) में औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा का जिम्मा फिलहाल राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) संभाल रहा है, क्योंकि यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारक है।

इसमें कहा गया है, “केंद्र को तुरंत यह सुरक्षा हटा देनी चाहिए और कब्र को दिया गया संरक्षित स्मारक का दर्जा वापस ले लेना चाहिए, जिससे यह जमीन मुक्त हो जाएगी तथा तनाव और बढ़ने की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। इससे महाराष्ट्र में दंगे रुकेंगे और उन्मादियों का दिमाग भी शांत होगा।’’

यह संपादकीय ऐसे समय में प्रकाशित की गई है, जब एक दिन पहले मंगलवार को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर ‘‘400 साल पुराना मुद्दा’’ उठाने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की थी और कहा था कि सरकार को कब्र हटा देनी चाहिए।

उद्धव ने कहा था कि औरंगजेब की कब्र को तुरंत हटा देना चाहिए, लेकिन ऐसा किए जाने के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को जरूर बुलाया जाना चाहिए।

‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में आरोप लगाया गया है, ‘‘अब यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस औरंगजेब को छत्रपति शिवाजी महाराज से ज्यादा अहमियत देते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज सभी को साथ लेकर चलने में यकीन करते थे, लेकिन भाजपा को यह विचार पहले भी मंजूर नहीं था और अब भी नहीं है।’’

इसमें दावा किया गया है, ‘‘असल में छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज कभी भी संघ या भाजपा की विचारधारा के प्रतीक नहीं रहे। इन लोगों का उद्देश्य शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के महत्व को कम करना है।’’

संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा का लक्ष्य सबसे पहले औरंगजेब को खत्म करना है, क्योंकि एक बार ‘खलनायक’ खत्म हो गया, तो छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी जैसे नायकों को खत्म करना आसान है।

भाषा धीरज पारुल

पारुल

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