नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने भारत में दिल का दौरा पड़ने के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत के मामलों पर चिंता जताते हुए सुझाव दिया कि तालुक स्तर के अस्पतालों में ऐसे रोगियों के स्वास्थ्य प्रबंधन की सुविधाएं कायम की जानी चाहिए जिससे ऐसे 90 प्रतिशत लोगों की जान बचायी जा सकेगी।
उच्च सदन में स्वास्थ्य मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए देवेगौड़ा ने संप्रग सरकार के शासनकाल में आम बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए किए गए आवंटन की तुलना वर्तमान सरकार के बजट से की। उन्होंने कहा कि 2013-14 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 37,330 करोड़ रूपये आवंटित किए गये थे, जबकि वर्तमान वर्ष के लिए यह आवंटन 99,858 करोड़ रूपये है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अनुबंध पर काम करने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों को 50-60 हजार रूपये का वेतन दिया जाता है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि इसे बढ़ाकर 80-90 हजार रूपये किया जाना चाहिए जिससे एमबीबीएस डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
देवेगौड़ा ने सरकार को सुझाव दिया कि दिल का दौरा और मस्तिष्काघात के मामलों का प्रबंधन तालुक स्तर के अस्पतालों में किए जाने के लिए सुविधाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति वर्ष 30 लाख लोगों की जान दिल का दौरा पड़ने और संबंधित समस्याओं के कारण जाती है।
जद(एस) नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जिन लोगों को दौरा पड़ता है, उनमे से 30 प्रतिशत लोग 45 वर्ष से कम आयु के होते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यम और युवा वर्ग के भारतीयों में यह रोग होने की आशंका बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि हृदय रोगों में यदि व्यक्ति को सही समय पर उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है इसलिए तालुक स्तर पर यह सुविधा मुहैया करायी जानी चाहिए।
देवेगौड़ा ने कहा कि दिल का दौरा पड़ने वाले रोगी को यदि तालुक स्तर पर एक मिनट में 18 हजार रूपये वाला एक विशेष इंजेक्शन लगा दिया जाए तो ऐसे 90 प्रतिशत रोगियों की स्थिति स्थिर हो जाती है। उन्होंने कहा कि उसके बाद यदि संबंधित रोगी को शहर के किसी अस्पताल में ले जाया जाए तो वहां एंजीयोप्लास्टी या स्टंट जैसी उपचार विधियों का प्रयोग किया जा सकता है।
भाषा
माधव मनीषा
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