गुवाहाटी, 12 अप्रैल (भाषा)असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि मुंबई आतंकवादी हमले के ‘मास्टरमाइंड’ तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण विदेशों में ऐश की जिंदगी जी रहे भगोड़ों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में न्याय का सामना करना होगा।
शर्मा ने कहा कि राणा को वापस लाया जाना मोदी सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत केंद्र की तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)सरकार ने ‘कोई उचित कार्रवाई नहीं की थी जिसकी वजह से अमेरिकी अदालतों ने मुंबई हमले के मामले में राणा को बरी कर दिया था।
मुख्यमंत्री ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा,‘‘राणा का प्रत्यर्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की वजह से एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। अमेरिकी अदालतों ने उसे मुंबई आतंकवादी मामले में बरी कर दिया था, क्योंकि संप्रग सरकार द्वारा उचित अनुवर्ती कार्रवाई नहीं की गई थी। वह केवल एक अन्य मामले में जेल में था।’’
शर्मा ने प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए कहा, ‘‘हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वह उसे (राणा को) वो (सजा) देगी जिसके वह लायक है।’’ उन्होंने कहा कि यह प्रत्यर्पण भारत से फरार अन्य लोगों के लिए एक चेतावनी का काम करेगा।
शर्मा ने कहा कि भगोड़ों को याद रखना चाहिए कि मोदी जी के शासन में उन्हें वापस जरूर लाया जाएगा। उनका विदेश में रहना केवल एक अस्थायी राहत है।
मुख्यमंत्री ने 2008 में मुंबई हमलों को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए गए स्थलों में से एक ताज होटल में बुकिंग की थी, लेकिन आखिरी समय में दूसरे होटल में चले गए थे। उस समय वे कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री थे।
शर्मा ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बारे में शनिवार को दावा किया कि असम पुलिस के पास राज्य में कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान संभावित गड़बड़ी के बारे में ‘पुख्ता खुफिया जानकारी’ थी, लेकिन कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने किसी भी हिंसक घटना को रोकने के लिए ‘‘बड़े पैमाने पर काम किया’’।
असम का गृह विभाग भी संभाल रहे शर्मा ने कहा, ‘‘हमारे पास पुख्ता खुफिया जानकारी थी कि कल (शुक्रवार को)अल्पसंख्यक समुदाय के विरोध प्रदर्शन के कारण असम में कुछ अशांति हो सकती है।’’
उन्होंने कहा कि ये सूचनाएं पांच दिन पहले ही मिल गई थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘असम पुलिस ने अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और मस्जिद समितियों से संपर्क किया। उन्होंने पांच दिनों तक गहनता से काम किया और कल का दिन बेहद संतुष्टि भरा रहा।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में तीन स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए और प्रत्येक रैली में करीब 150 लोगों ने हिस्सा लिया।
भाषा धीरज पवनेश
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