ठाणे, 10 फरवरी (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 17 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को इस आधार पर बरी कर दिया है कि वह स्वेच्छा से भागी थी और वह अपने कृत्य के परिणामों को समझने में सक्षम थी।
विशेष न्यायाधीश डी एस देशमुख ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा और उसे संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पास्को) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत व्यक्ति को आरोपों से बरी कर दिया गया।
चार फरवरी को सुनाए गए इस आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।
विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि लड़की की मां ने 6 जुलाई, 2023 को घर से लापता होने के बाद शिकायत दर्ज कराई थी।
उन्होंने बताया कि लड़की ने 13 जुलाई को अपनी मां से संपर्क किया और कहा कि वह घर लौटना चाहती है, लेकिन आरोपी उसे रोक रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद पुलिस लड़की और आरोपी दोनों को सांगली से कलवा ले आई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, लड़की के बयान से पता चला है कि उसने आरोपी को पैसे भेजे थे, जो उसका पड़ोसी था और फिर उसने लड़की को अपने साथ घर छोड़ने के लिए राजी किया। वह उसे सांगली ले गया, जहाँ उसने कथित तौर पर उसकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
उक्त व्यक्ति को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और वह फिलहाल जमानत पर है। लड़की ने 18 साल की होने के बाद उससे शादी कर ली।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि लड़की ने जिरह में आरोपी के साथ स्वेच्छा से घर छोड़ने की बात स्वीकार की और कहा कि उसे आरोपी से कोई शिकायत नहीं है।
आदेश में कहा गया कि उसका बयान भी आरोपी के बयान का समर्थन करता है, क्योंकि उसने (लड़की ने) उसे ‘प्रपोज’ करने और स्वेच्छा से उसके साथ जाने का उल्लेख किया है।
अदालत ने कहा कि भागने के समय लड़की की उम्र 17 साल और 9 महीने थी और वह अपने कार्यों के परिणामों को समझने के लिए उम्र में पर्याप्त बड़ी थी, जिससे उसकी गवाही बचाव पक्ष के लिए अधिक अनुकूल हो गई।
भाषा
Intern दिलीप
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