नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार चौहान ने कहा कि ज्यादातर भारतीय लंबी अवधि के निवेशक हैं।
उन्होंने कहा कि 11 करोड़ बाजार भागीदारों में केवल दो प्रतिशत ही सक्रिय रूप से वायदा-विकल्प में कारोबार करते हैं। इससे देश में अनुशासित, टिकाऊ निवेश की बढ़ती संस्कृति का संकेत मिलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘11 करोड़ बाजार भागीदारों में केवल दो प्रतिशत ही सक्रिय रूप से वायदा-विकल्प में कारोबार करते हैं। अधिकांश दीर्घकालिक निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
सिंगापुर में हाल ही में एक समूह चर्चा में उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि भारत का शेयर बाजार मुख्य रूप से सट्टा व्यापार से प्रेरित है।
एनएसई ने एक बयान में कहा कि इस दौरान चौहान ने उभरते वित्तीय परिदृश्य, प्रौद्योगिकी संचालित पूंजीवाद के उदय और वैश्विक बाजारों की बढ़ती जटिलताओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने वित्तीय स्थिरता पर पारंपरिक नजरिये को फिर से परिभाषित किया, जिसके मुताबिक अस्थिरता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति की एक अंतर्निहित विशेषता है।
चौहान ने कहा कि बाजार में व्यवधान अक्सर विशुद्ध रूप से आर्थिक कारकों के बजाय भू-राजनीतिक बदलावों के चलते होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भू-राजनीति अर्थशास्त्र को नाश्ते की तरह खा जाती है।’’ उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शक्ति संघर्ष अप्रत्याशित तरीकों से वित्तीय बाजारों को नया रूप दे रहा है।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय