जूना अखाड़े के यति नरसिंहानंद ने वरिष्ठ आचार्यों पर महाकुंभ में व्यक्तिगत वैभव दिखाने का आरोप लगाया

Ankit
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महाकुंभ नगर, 16 जनवरी (भाषा) जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि शीर्ष धर्मगुरुओं ने महाकुंभ का इस्तेमाल सनातन धर्म की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय व्यक्तिगत वैभव दिखाने के लिये किया है।


श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की ओर से जारी एक बयान में गिरि ने प्रयागराज महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी और महासचिव श्री महंत हरि गिरि महाराज समेत नेतृत्व की प्रशंसा की और इसे हिंदू मूल्यों व परंपराओं की रक्षा की दिशा में एक कदम बताया।

बयान के अनुसार गिरि ने कहा, ‘हमारे तथाकथित वरिष्ठ आचार्य इस मंच का इस्तेमाल फालतू बयानबाजी के लिए कर रहे हैं और 100 करोड़ से अधिक हिंदुओं को गुमराह कर रहे हैं। जबकि भारत एक इस्लामिक राष्ट्र बनने की कगार पर है, हमारे वरिष्ठ आचार्यगण इस पर चिंतित ना होकर अपने वैभव प्रदर्शन में लगे हुए हैं।’

बयान में कहा गया है कि उन्होंने हिंदुओं से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करते हुए पूछा, ‘क्या इन तथाकथित धर्मगुरुओं का व्यक्तिगत वैभव सनातन धर्म की रक्षा कर सकता है? अतीत में कई बार विभाजित हो चुका भारत हमारी अंतिम शरणस्थली है। यदि हम इसे खो देते हैं, तो सनातन धर्म के बीज भी जीवित नहीं रह पाएंगे।’

बयान के अनुसार, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी जल्द ही लोकतांत्रिक तरीकों से भारत को एक इस्लामिक देश में बदल देगी। एक इस्लामिक भारत वैश्विक शांति और मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करेगा, क्योंकि यह वैश्विक जिहादियों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करेगा।’

बयान में कहा गया है कि गिरि ने विशेष रूप से दारुल उलूम देवबंद और उसके सहयोगी संगठनों, तब्लीगी जमात और जमीयत उलेमा-ए-हिंद का नाम लेते हुए उन पर मुसलमानों को जिहाद के लिए प्रशिक्षित करने और दुनिया भर में निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया।

गिरि ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘भारत का भी वही हश्र होगा जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश का हुआ है, और वह हिंदू विहीन हो जाएगा। भारत में हिंदुओं के विनाश का मतलब होगा सनातन धर्म का पूर्ण विनाश। इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हमारे धर्मगुरू होंगे जिन्होंने न तो धर्म की रक्षा के लिए कोई कदम उठाया और न ही हिंदुओं को ऐसा करने दिया।’

भाषा राजेंद्र जोहेब

जोहेब



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