(तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि बिमल जालान समिति द्वारा घोषित आर्थिक पूंजी प्रारूप (ईसीएफ) की केंद्रीय बैंक इस समय आंतरिक समीक्षा कर रहा है।
मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई द्वारा सरकार को अधिशेष हस्तांतरण निर्धारित करने वाले प्रारूप की समीक्षा किए जाने की वजह यह है कि छह सदस्यीय समिति ने हर पांच साल में इसकी समीक्षा की सिफारिश की थी।
उन्होंने केंद्रीय बैंक मुख्यालय में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह एक आंतरिक समीक्षा है जिसे करना जरूरी था, क्योंकि अब इसका समय समाप्त हो चुका है।”
वर्तमान में, इस ढांचे में मौद्रिक दर नीति जोखिमों और प्रतिभूतियों के मूल्यों के ह्रास जैसी अप्रत्याशित आकस्मिकताओं की भरपाई के लिए आकस्मिक जोखिम बफर का प्रावधान है और इसे आरबीआई बही-खाते के आकार के प्रतिशत के रूप में बनाए रखा जाता है। बफर की सीमा बही-खाते के 6.5 प्रतिशत तक सीमित है।
आरबीआई ने पिछले वर्ष सरकार को रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ रुपए का अधिशेष हस्तांतरित किया था।
इसके साथ ही मल्होत्रा ने कहा कि देश को भारी अनिश्चितताओं, खासकर बाहरी मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती अनिश्चितताओं को देखते हुए यह नहीं माना जाना चाहिए कि समीक्षा में बफर को बढ़ाने का विकल्प चुना जाएगा।
भाषा अनुराग प्रेम
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