(गुंजन शर्मा)
वाराणसी, 23 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर और विभिन्न देशों के 45 राजदूतों ने रविवार को ‘काशी तमिल संगमम’ के तीसरे संस्करण के दौरान यहां आए तमिल प्रतिनिधियों से बातचीत की।
इस सत्र ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को काशी और कांचीपुरम की दो महान संस्कृतियों के बीच के संबंधों को देखने और दिल्ली से परे भारत की गहरी समझ हासिल करने का एक अनूठा अवसर दिया।
जयशंकर ने काशी को भारत का सांस्कृतिक हृदयस्थल बताया, जो देश भर के लोगों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु का काशी के साथ एक विशेष रिश्ता है और ‘काशी तमिल संगमम’ इस अनूठे संबंध का उत्सव मनाता है। भारत विविधताओं का देश है और अपनी अनेक भाषाओं, परंपराओं और मान्यताओं के बावजूद देश एकजुट है। विविधता के भीतर यह एकता भारत को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रखती है।’’
जयशंकर ने भारत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे इसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने और दुनिया को भारत के गौरवशाली अतीत और गहरी जड़ों वाली परंपराओं से परिचित कराने में मदद मिलती है।
तमिल प्रतिनिधि राजेश कुमार ने भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डाला।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कार्यवाहक कुलपति संजय कुमार ने कहा, ‘‘विभिन्न देशों के शीर्ष राजनयिकों की उपस्थिति भारत की वैश्विक पहुंच और दुनिया भर की सभ्यताओं के साथ उसके दीर्घकालिक सांस्कृतिक और ज्ञान-आधारित संबंधों को दर्शाती है।’’
शिक्षा मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से आयोजित इस वार्षिक सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सभ्यतागत बंधन का जश्न मनाना और उसे मजबूत करना है।
पहला ‘काशी तमिल संगमम’ 16 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना था। दूसरा संस्करण 17 से 30 दिसंबर, 2023 तक आयोजित किया गया था। तीसरा संस्करण 15 फरवरी से शुरू होकर 24 फरवरी तक आयोजित होगा।
भाषा आशीष अविनाश
अविनाश