जम्मू, 16 मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर के बाहर के 200 से अधिक निवेशकों को जम्मू-कश्मीर में अपनी व्यावसायिक इकाइयां स्थापित करने के लिए पिछले एक दशक में औद्योगिक एस्टेट में भूमि प्रदान की गई है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद बाहरी निवेशकों द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में कई गुना वृद्धि हुई है। बाहरी निवेशकों में से ज्यादातर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से हैं।
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश निवेशकों ने जम्मू क्षेत्र के कठुआ और सांबा जिलों को अपनी फर्म स्थापित करने के लिए प्राथमिकता दी, जबकि घाटी में बहुत कम व्यवसायी रुचि दिखा रहे हैं।
औद्योगिक नीति 2016-26 के तहत देश के विभिन्न हिस्सों से कुल 28 व्यवसायियों को सांबा और कठुआ जिलों में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए 500 कनाल से अधिक भूमि आवंटित की गई थी। निवेश प्रस्ताव के आधार पर भूमि का आवंटन अलग-अलग होता है।
हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद संशोधित औद्योगिक नीति 2021-30 की शुरुआत के बाद दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु के व्यवसायी भी निवेश के लिए इस क्षेत्र पर नजर गड़ाए हुए हैं।
दिल्ली के लगभग 50 व्यवसायियों को जम्मू-कश्मीर में भूमि आवंटित की गई है, इसके बाद हरियाणा (45), पंजाब (43), उत्तर प्रदेश (14), महाराष्ट्र (नौ) और गुजरात, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश से सात-सात व्यवसायियों को भूमि आवंटित की गई है।
भाषा
अनुराग
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