जब प्रधानमंत्री सिंह ने काकोदकर से परमाणु ऊर्जा विभाग पर ‘प्रारंभिक जानकारी’ मांगी

Ankit
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मुंबई, 27 दिसंबर (भाषा) मनमोहन सिंह भले ही विद्वान थे, लेकिन 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने सबसे पहला काम यह किया कि उन्होंने परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोदकर से उनके विभाग के बारे में “प्रारंभिक जानकारी” मांगी थी।


डॉ. काकोदकर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए कहा कि ऐसा नहीं था कि अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह भारत की परमाणु ऊर्जा और हथियारों की स्थिति से अपरिचित थे।

मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया।

प्रधानमंत्री का पद संभालने से पहले सिंह परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के सदस्य रह चुके थे।

काकोदकर ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैं प्रारंभिक जानकारी की इस मांग से हैरान था, क्योंकि प्रधानमंत्री के पास समय की कमी होती है। मैंने उनसे कहा कि इस विषय पर शुरुआती जानकारी को दो पन्नों तक सीमित नहीं किया जा सकता।”

काकोदकर ने कहा, “उन्होंने कहा कि पन्नों की संख्या कोई मायने नहीं रखती।” जल्द ही, उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए 15-20 पृष्ठों का एक विस्तृत नोट तैयार कर लिया।

उन्होंने कहा, “डॉ. सिंह की नजर बारीकियों पर थी। उन्होंने डेढ़ घंटे तक प्रारंभिक जानकारी को पढ़ा, मैं उनके बगल में बैठा था और इस रणनीतिक विभाग से जुड़ी बारीकियों को समझ रहा था। प्रधानमंत्री के स्तर पर आप ऐसी उम्मीद नहीं करते हैं।”

परमाणु ऊर्जा विभाग सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करता है। काकोदकर ने 2000 से 2009 तक परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

सिंह के नेतृत्व में ही अक्टूबर 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिससे न केवल अमेरिका, बल्कि अन्य विकसित देशों के साथ परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान के क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ।

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन



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