…जब अमिताभ बच्चन ने 1990 में मोहम्मद रफी को फिल्म ‘क्रोध’ में श्रद्धांजलि दी थी

Ankit
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नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) अभिनेता अमिताभ बच्चन ने 1990 में सनी देओल और संजय दत्त अभिनीत फिल्म ‘क्रोध’ में गाना ‘ना फनकार तुझसा’ में एक अतिथि भूमिका में महान गायक मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी थी।

मोहम्मद अजीज द्वारा गाया यह गीत फिल्म के पहले भाग में एक संगीत समारोह के दौरान आता है, जो रफी की याद में आयोजित था। रफी का निधन फिल्म के रिलीज होने से एक दशक पहले 1980 में हो गया था।

फिल्म ‘‘क्रोध’’ में अमृता सिंह, सोनम और जगदीप सहित कलाकार – ‘‘एक शाम रफी के नाम’’ नामक संगीत कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

बच्चन ने फिल्म ‘‘नसीब’’ में ‘‘चल मेरे भाई’’ गीत में रफी ​​के साथ अपनी आवाज दी थी, जो रफी के निधन के एक साल बाद रिलीज हुई थी। बच्चन फिल्म में गायक को संगीतमय श्रद्धांजलि देने के लिए स्वयं दिखाई देते हैं।

गाना ‘‘ना फनकार तुझसा’’ बच्चन पर फिल्माया गया था। बच्चन ने रफी ​​के भावनात्मक परिचय में कहा था, ‘‘ ‘मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा’, यह रफी साहब ने एक बार कहा था। उन्होंने यह भी कहा, ‘कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे।’ रफी साहब हमें छोड़कर चले गए और अपने पीछे यादों का एक कोहरा छोड़ गए। उनसे प्यार करने वाला हर कोई उन्हें उस कोहरे में खोजने की कोशिश कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोग उन्हें तब तक खोजते रहेंगे, जब तक दुनिया रहेगी, क्योंकि उनके जैसे फनकार, जो अपनी कला के माध्यम से हर दिल में घर बनाते हैं, विरले ही पैदा होते हैं। जब वे जाते हैं, तो अपने पीछे एक दर्द, एक घाव छोड़ जाते हैं और जब उस घाव में दर्द होता है, तो केवल एक ही भावना उभरती है।’’

आनंद बख्शी द्वारा लिखित और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध इस गीत की शुरुआती पंक्तियां हैं: ‘‘ना फनकार तुझसा तेरे बाद आया, मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया…।’’

रफी के करियर का आखिरी गाना 1981 की फिल्म ‘आस पास’ का ‘‘तू कहीं आस पास है दोस्त’’ भी बख्शी ने लिखा था और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने संगीतबद्ध किया था। इसे धर्मेंद्र पर फिल्माया गया था, जिनके लिए गायक ने अनेक गाने गाए थे, जैसे ‘‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’’ (1973 की फिल्म ‘लोफर’ से) और 1975 के ‘प्रतिज्ञा’ से ‘‘मैं जट यमला पगला दीवाना।’’

कुछ लोगों का कहना है कि गायक की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि देने का विचार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था, जबकि अन्य का कहना है कि बच्चन ने कैमियो करने के लिए तुरंत सहमति दे दी थी और उन्होंने खुद ही परिचय भी लिखा था।

रफी के बेटे शाहिद रफी भी इस गाने की उत्पत्ति के बारे में अनिश्चित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि यह गीत कैसे बना। मुझे बस इतना पता है कि उन्होंने पिताजी की याद में यह गीत बनाया था।’’

‘‘ना फनकार तुझसा’’ के संगीत वीडियो में रफी से जुड़ी यादगार चीजें और गायक के जनाजे में उमड़ी भीड़ की फुटेज है।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप


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