रायपुर, 11 अप्रैल (भाषा) छत्तीसगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 14,195 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व अर्जित किया है, जो प्रदेश की कुल आय का 23 प्रतिशत और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 11 प्रतिशत है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में इस दौरान ई-नीलामी के माध्यम से 48 मुख्य खनिज ब्लॉक का सफलतापूर्वक आवंटन किया गया है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को मंत्रालय महानदी भवन में खनिज विभाग की समीक्षा बैठक ली। बैठक में छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा, अन्वेषण कार्यों, तकनीकी नवाचारों और राजस्व उपलब्धियों की विस्तृत समीक्षा की गई।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने खनन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि देश की प्रगति में राज्य की अग्रणी भूमिका है। उन्होंने देश में वर्ष 2024-2025 में कोयला उत्पादन में एक अरब टन का लक्ष्य हासिल करने पर खुशी जाहिर की और इसे पाने में छत्तीसगढ़ के योगदान को सराहा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार के साथ आवश्यक समन्वय करते हुए खनन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की भागीदारी को और अधिक प्रभावशाली बनाएंगे। विकसित भारत के निर्माण में हमारा राज्य खनिज क्षेत्र के माध्यम से एक मजबूत स्तंभ बने, यही हमारा लक्ष्य है।’’
साय ने बताया कि राज्य में कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, टिन, चूना पत्थर सहित कई महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के साथ ही देश की औद्योगिक प्रगति में भी अहम भूमिका निभाती हैं। विकसित राष्ट्र की परिकल्पना के परिप्रेक्ष्य में सामरिक महत्व के खनिजों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विभाग ने अपनी अन्वेषण योजना में व्यापक बदलाव किया है और महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण को प्राथमिकता दी है।
केंद्रीय खान मंत्री रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार खनिज संसाधनों के अन्वेषण, सतत उपयोग और खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी।
उन्होंने विश्वास जताया कि छत्तीसगढ़, खनिज क्षेत्र में अपनी मजबूत भूमिका निभाते हुए देश के समग्र विकास में प्रभावी योगदान देता रहेगा।
अधिकारियों ने बताया कि रेड्डी ने इस अवसर पर अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान देश की सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा (कोरबा जिला) के निरीक्षण के बारे में बताया तथा खदान में किए जा रहे नवाचारों और अत्याधुनिक तकनीकों की भी सराहना की।
उन्होंने खनन क्षेत्रों में बढ़ रहे यातायात के दबाव एवं नागरिक सुरक्षा को देखते हुए कोयला परिवहन के लिए बनाए जा रहे ‘डेडिकेटेड कोल कॉरिडोर’ की प्रगति की भी जानकारी ली।
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के सचिव और खनिज साधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने राज्य सरकार द्वारा संचालित खनन गतिविधियों एवं नीतियों की विस्तृत जानकारी दी।
दयानंद ने बताया कि राज्य में 28 प्रकार के खनिज मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ देश के कुल क्षेत्रफल का मात्र चार प्रतिशत होने के बावजूद राष्ट्रीय खनिज उत्पादन मूल्य में 17 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है और खनिज उत्पादक राज्यों में द्वितीय स्थान पर है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में छत्तीसगढ़ ने लगभग 14,195 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व अर्जित किया है, जो प्रदेश की कुल आय का 23 प्रतिशत और जीएसडीपी का 11 प्रतिशत है। राज्य ने ई-नीलामी के माध्यम से 48 मुख्य खनिज ब्लॉक का सफलतापूर्वक आवंटन किया है।
दयानंद ने बताया कि 2024-25 की 56 अन्वेषण परियोजनाओं में से 32 सामरिक, महत्वपूर्ण व गहरे पानी में मिलने वाले खनिजों के लिए हैं। पिछले वर्षों में ई-नीलामी के माध्यम से ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, निकल-क्रोमियम-पीजीआई, गोल्ड जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के 10 ब्लॉक आवंटित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि देश का पहला लिथियम ब्लॉक कटघोरा में सफलतापूर्वक आवंटित हुआ है, जो ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम है और यह हमारे राज्य की क्षमता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
दयानंद ने बताया कि खनिज विकास निधि से प्रदेश के खनिज बाहुल्य अंदरूनी क्षेत्रों में रेल पथ निर्माण के लिए 720 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाएं परिवहन ढांचे को मजबूत कर रही हैं। डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से 33 जिलों में 15 हजार करोड़ से अधिक की राशि से खनन प्रभावित क्षेत्रों का समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही टिन खनिज के तीन भौमिकी प्रतिवेदन ई-नीलामी के माध्यम से आवंटन के लिए भारत सरकार के कोयला मंत्रालय को सौंपा गया है। चूंकि टिन सामरिक महत्व का खनिज है, इसलिए खनिज अधिनियम के तहत इसके आवंटन का अधिकार भारत सरकार के खान मंत्रालय को है।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के खनिज विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा, सुकमा और बस्तर जिले अंतर्गत तीन ब्लॉक को चिह्नित किया गया है। इसमें ग्राम नेरली, जिला दंतेवाड़ा; ग्राम कुमा कोलेंग, जिला सुकमा; और ग्राम कुमा कोलेंग, जिला सुकमा और बस्तर शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने भारत का पहला लिथियम ब्लॉक, ई-नीलामी के माध्यम से कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में माईकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को 76.05 प्रतिशत की उच्चतम बोली के साथ आवंटित किया है।
इसके अलावा, राज्य शासन द्वारा ई-ऑक्शन के माध्यम से दंतेवाड़ा और कांकेर जिलों के कुल चार लौह अयस्क ब्लॉक के लिए उच्चतम बोलीदाताओं आर्सेलर मित्तल, रूंगटा सन्स और सागर स्टोन को आवंटित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रुपिंदर बराड़, कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन पी. एम. प्रसाद और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
भाषा संजीव सुरभि
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