(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, 23 मार्च (भाषा) चीन के हीरा बाजार में सुधार के संकेत ने भारतीय हीरा उद्योग की उम्मीद बढ़ गई है, जिससे हीरा विनिर्माण परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही।
चीन में आर्थिक मंदी और विवाह दर में गिरावट के चलते हीरा बाजार में मंदी आई। चीन का हीरा बाजार लगभग नौ अरब अमेरिकी डॉलर का है।
पिछले साल, चीन के हीरा बाजार ने लगभग 5.7 अरब डॉलर का राजस्व हासिल किया था और बाजार विश्लेषकों के अनुसार 2030 तक इसके 7.2 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।
चीन में हीरे की मांग में 50 प्रतिशत तक गिरावट आई है, जबकि पिछले दो वर्षों में हीरे की थोक कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसका असर भारत में भी देखने को मिला, जिसकी तराशे और पॉलिश किए गए हीरे के निर्यात में एक तिहाई हिस्सेदारी है।
जीजेईपीसी ने पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में कहा कि अमेरिका और चीन में मांग लगातार घटने के बाद फरवरी में भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात में सालाना आधार पर 23.49 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 242.29 करोड़ डॉलर रह गया।
जीजेईपीसी की विज्ञप्ति में उसके चेयरमैन किरीट भंसाली ने कहा, ”हीरे की स्थिर कीमतें और चीन की मांग में सुधार, वैश्विक उद्योग के लिए सकारात्मक संके हैं। भारत का मजबूत विनिर्माण आधार इस अवसर का लाभ उठाने की स्थिति में है।”
जीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन शौनक पारेख ने कहा कि लंबी मंदी के बाद बिक्री स्थिर हो रही है और यह नई मांग भारत के हीरा विनिर्माण उद्योग को नया आकार दे सकती है।
भाषा पाण्डेय
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