चीन के साथ विशेष प्रतिनिधि वार्ता और अन्य बैठकों की तैयारियां जारी: भारत |

Ankit
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नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) भारत और चीन दोनों ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रबंधन के लिए अगले कदमों पर विचार-विमर्श करने को लेकर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता और अन्य बैठकों की तैयारी कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।


विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की यह टिप्पणी भारत और चीन के बीच नई दिल्ली में सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत वार्ता के एक दिन बाद की।

डब्ल्यूएमसीसी की बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की थी।

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले दो स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद एक अहम वार्ता तंत्र के तहत बृहस्पतिवार को अपनी पहली कूटनीतिक बातचीत में सीमा विवाद से हासिल हुए निष्कर्षों पर विचार किया ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की बैठक की तैयारियां जारी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने विदेश सचिव स्तर की बैठक के बारे में भी बात की। ये बैठकें होने के बाद हम अगले कदमों पर चर्चा करेंगे।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि डब्ल्यूएमसीसी बैठक से संबंधित भारतीय बयान में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया के कार्यान्वयन के बारे में बात की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक प्रक्रिया है जो पूरी हो चुकी है। और अब यह तनाव कम करने की प्रक्रिया की ओर बढ़ेगी, जिसका उल्लेख (संसद में) विदेश मंत्री के बयान में भी किया गया है।’’

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जायसवाल ने कहा कि भारतीय पक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘‘जहां भी गश्त की जानी थी, जो भी स्थिति बहाल होनी थी, वह कर दी गई है।’’

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। यह गतिरोध कुछ सप्ताह पहले देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था।

भाषा

देवेंद्र जोहेब

जोहेब



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