‘गौ रक्षा कवच’ पेंडेंट से गायों की सुरक्षा और कल्याण होगा सुनिश्चित

Ankit
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मुंबई, 25 दिसंबर (भाषा) देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से काम कर रहे एक फाउंडेशन ने गायों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम पेंडेंट बनाया है, जिसमें क्यूआर कोड लगा हुआ है, ताकि गायों का कल्याण और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


‘गौ रक्षा कवच’ पेंडेंट ईमेल या एसएमएस के जरिए गाय के टीकाकरण की तारीख की याद दिलाएगा। स्कैन करने पर, कोड मौके पर ही गाय का चिकित्सा इतिहास भी सामने रख देगा।

इस पेंडेंट में रोशनी को परावर्तित करने वाला कॉलर लगा है जो आवारा गायों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाएगा। यह पहल बुधवार को ‘रिडलान एआई फाउंडेशन’ द्वारा शुरू की गई।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और पूर्व सांसद पूनम महाजन ने बुधवार को पेंडेंट की शुरूआत की ।

महाजन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जन्म शताब्दी पर याद करते हुए कहा, ‘‘यह भारत की पुरानी संस्कृति से गायों के लिए एआई-अनुरूप पेंडेंट का एक बहुत ही शानदार विचार है। मैं भारत के उन नेताओं से जुड़ने के लिए धन्य महसूस करती हूं जो समाज को वापस देने, बेजुबानों को आवाज देने के बारे में सोचते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानवरों के लिए काम करती रही हूं और रिडलान एआई फाउंडेशन के संस्थापक अक्षय के साथ मिलकर हमने अटल जी के नाम पर यह अनूठा कार्यक्रम किया है।’’

महाजन ने कहा कि क्यूआर कोड का इस्तेमाल आवारा गायों के लिए किया जा सकता है और गौशाला चलाने वाले लोग भी हमसे संपर्क कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम गायों को बचाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर रहे हैं। ‘गौ रक्षा कवच’ नामक पेंडेंट का उद्देश्य गायों को प्रभावित करने वाले कई विषाणुओं से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।’’

रिडलान एआई फाउंडेशन के संस्थापक अक्षय रिडलान ने कहा, ‘‘पिछले दो सालों में 20 लाख से ज्यादा गायें लम्पी वायरस की वजह से प्रभावित हुई हैं और करीब दो लाख गायों की मौत हुई है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गायों का टीकाकरण और समय पर कृमि मुक्ति बहुत ज़रूरी है।’’

रिडलान ने कहा कि गायों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए बेल्ट पर लगे ये टैग गायों की जानकारी संग्रहीत करेंगे और मालिक को अलर्ट भेजेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘कवच में एक रिफ्लेक्टिव कॉलर है जो आवारा गायों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाएगा। गायों के लिए यह हमारी ओर से एक छोटी सी पहल है। पेंडेंट फिलहाल मुफ्त हैं और फाउंडेशन प्रायोजकों की तलाश कर रहा है।’’

भाषा धीरज रंजन

रंजन



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