(तस्वीर के साथ)
पणजी, 31 जुलाई (भाषा) गोवा के सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूल छात्रों को परंपरागत विषयों के साथ कोडिंग और रोबोटिक्स की भी शिक्षा दे रहे हैं। इससे नए दौर के लिए विद्यार्थियों के तैयार होने के साथ नए अवसरों की दुनिया भी खुल रही है।
गोवा के इन स्कूलों में लगभग 65,000 छात्र सरकार के महत्वाकांक्षी कौशल विकास कार्यक्रम के तहत कम उम्र में ही कोडिंग और रोबोटिक्स के गुर सीख रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना है।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हाल ही में विधानसभा को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार स्कूली छात्रों को नए कौशल से लैस करने के लिए ‘स्कूलों में कोडिंग और रोबोटिक्स शिक्षा’ (केयर्स) योजना लागू कर रही है ताकि वे उद्योग के लिए तैयार हों।
सावंत ने कहा था कि इस योजना को सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूलों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है और अब विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के दौरान गोवा के सभी स्कूलों के कंप्यूटर शिक्षकों को ‘मास्टर ट्रेनर’ बनने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इस योजना के तहत स्कूलों को कोडिंग एवं रोबोटिक्स उपकरण मुफ्त में दिए जा रहे हैं।
गोवा सरकार की केयर्स परियोजना के निदेशक डॉ. विजय बोर्गेस ने कहा कि यह योजना पिछले चार वर्षों से सभी मिडिल स्कूलों में 65,000 छात्रों को लक्षित करके लागू की जा रही है। इसके लिए इंजीनियरिंग पेशेवरों को फेलो नियुक्त किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य नवोन्मेषक, प्रौद्योगिकी के लिए तैयार और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में मददगार विद्यार्थियों को तैयार करना है।
पणजी से 110 किलोमीटर दूर कैनकोना तालुका के गावडोंग्रिम गांव में सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक दामोदर गांवकर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र भी कोडिंग एवं रोबोटिक्स में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्कूल के छात्र भी इन विषयों को सीखने में बहुत उत्साहित हैं। छात्र समृद्ध देवीदास ने कहा, ‘‘मुझे कोडिंग और रोबोटिक्स सीखने में बहुत मजा आता है। मुझे कई नई चीजें पता चलती हैं। इससे मेरी रचनात्मक सोच भी बढ़ती है।’’
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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