गोयल की आलोचना पर जेप्टो के सीईओ |

Ankit
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नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) जेप्टो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आदित पालीचा ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की भारतीय स्टार्टअप परिवेश तंत्र और इसकी नवाचार प्राथमिकताओं पर की गई टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को भारतीय स्टार्टअप समुदाय से कहा था कि वे अपना ध्यान किराना सामान की आपूर्ति और आइसक्रीम बनाने से हटाकर सेमीकंडक्टर, मशीन लर्निंग (एमएल), रोबोटिक्स और कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे उच्च प्रौद्योगिकी वाले क्षेत्र पर लगाएं।

मंत्री ने पूछा था “क्या हमें आइसक्रीम या चिप्स बनाना है?”

पालीचा ने उनकी कंपनी के रोजगार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में योगदान का हवाला देते हुए इसका पुरजोर बचाव किया और इसे ‘‘भारतीय नवाचार में चमत्कार’’ करार दिया।

प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार को बढ़ावा देने में ‘उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों’ द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित करते हुए पालिचा ने तर्क दिया कि स्टार्टअप परिवेश तंत्र, सरकार तथा भारतीय पूंजी के बड़े वर्ग के मालिकों को इन स्थानीय कंपनियों के निर्माण में सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है, ‘‘न कि उन दलों को पीछे धकेलने की, जो वहां पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।’’

‘उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों’ से तात्पर्य ऐसी कंपनियों से हैं जो इंटरनेट के जरिये उपभोक्ताओं को उत्पाद या सेवाएं मुहैया कराती हैं

पालीचा ने पेशवेर मंच लिंक्डइन पर लिखा, ‘‘भारत में उपभोक्ता इंटरनेट स्टार्टअप की आलोचना करना आसान है, खासकर जब आप उनकी तुलना अमेरिका/चीन में विकसित की जा रही गहन प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता से करते हैं। वास्तविकता यह है कि आज लगभग 1.5 लाख लोग जेप्टो से आजीविका कमा रहे हैं। एक ऐसी कंपनी जो 3.5 साल पहले अस्तित्व में नहीं थी।’’

गोयल ने स्टार्टअप महाकुंभ में कहा था, ‘‘ क्या हम डिलिवरी बॉय बनकर खुश रहेंगे… क्या यही भारत की नियति है… यह स्टार्टअप नहीं है, यह उद्यमिता है… दूसरी तरफ क्या हो रहा है – रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, 3डी विनिर्माण और अगली पीढ़ी के कारखाने आदि।’’

पालीचा ने कहा कि जेप्टो अब भी एक महान इंटरनेट कंपनी बनने से बहुत दूर है जो वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके, लेकिन ‘‘वहां पहुंचने के लिए दिन-रात काम कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं वादा कर सकता हूं कि इस व्यवसाय से हम जो भी पूंजी जुटाएंगे (और ईमानदारी से ऐसा लगता है कि हम जुटाएंगे) उसका निवेश भारत में दीर्घकालिक नवाचार और मूल्य सृजन के लिए किया जाएगा।’’

भाषा निहारिका नरेश

नरेश



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