नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा)कई राज्यों में दर्ज मामलों में वांछित और इंटरपोल रेड नोटिस का सामना कर रहे गैंगस्टर जोगिंदर ग्योंग को रविवार को फिलीपीन से भारत प्रत्यर्पित कराकर लाया गया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि ग्योंग कौशल चौधरी गिरोह का प्रमुख सदस्य था और उसके आतंकवादी अर्श डल्ला और भगोड़े गैंगस्टर लकी पटियाल से करीबी संबंध थे। दोनों ही प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) से जुड़े हैं।
गैंगस्टर ग्योंग की हरियाणा और दिल्ली पुलिस को तलाश थी।
अधिकारियों ने बताया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद उसे दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 25 अक्टूबर, 2024 को इंटरपोल से ग्योंग के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया था, जिसे वांछित अपराधी का पता लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेजा गया था।
उन्होंने कहा,‘‘रेड नोटिस के आधार पर जोगिंदर ग्योंग को फिलीपीन से बैंकॉक के रास्ते दिल्ली भेजा गया।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘वह (ग्योंग) एक गैंगस्टर है, जो हरियाणा पुलिस द्वारा एक व्यक्ति की हत्या के मामले में वांछित था। उसे संदेह था कि पीड़ित ने उसके गैंगस्टर भाई सुरेन्द्र ग्योंग की असली पहचान और ठिकाना पुलिस को बता दिया है। सुरेन्द्र ग्योंग पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया।’’
सीबीआई ने बताया कि जोगिंदर ग्योंग ने अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए पानीपत में कथित तौर पर हत्या की योजना बनाई थी।
प्रवक्ता ने बताया कि वह दिल्ली और पंजाब सहित भारत के विभिन्न राज्यों में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, जबरन वसूली और फिरौती के लिए अपहरण जैसे आपराधिक मामलों में भी कथित रूप से शामिल था।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने बताया कि भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए फिलीपीन के आव्रजन ब्यूरो (पीबीआई) ने ग्योंग को पिछले साल जुलाई में बैकोलोड शहर से गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि पीबीआई अधिकारियों ने ग्योंग की पहचान एक ‘‘भारतीय-नेपाली नागरिक’’ और अलगाववादी आतंकवादी नेटवर्क के एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में की है।
ग्योंग को अवैध हथियार रखने के जुर्म में हरियाणा में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पुलिस ने बताया कि पैरोल पर रहते हुए उसने दिसंबर 2017 में पानीपत में हत्या की और बाद में विदेश भाग गया था।
इससे पहले उसे पांच हत्याओं सहित 15 मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि दिल्ली पुलिस का विशेष प्रकोष्ठ गैंगस्टर-आतंकवादी गठजोड़ की व्यापक जांच के तहत ग्योंग की गतिविधियों पर नजर रख रहा था।
उन्होंने बताया, ‘‘ खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि जबरन वसूली, सुपारी लेकर हत्या, हथियारों की तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी में उसकी गहरी संलिप्तता थी, तथा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर के अपराधियों के साथ उसके गहरे संबंध थे।’’
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने कहा, ‘‘व्यापक निगरानी के बाद, अधिकारियों ने फिलीपीन के बैकोलोड शहर में उसके ठिकाने का पता लगाया, जहां वह गलत पहचान के सहारे छिपा था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त अनुरोध के बाद, उसे हिरासत में लिया गया और निर्वासित किया गया, जिसके बाद एक फरवरी की रात को उसकी गिरफ्तारी हुई।’’
अधिकारी ने बताया कि ग्योंग जेल में बंद गैंगस्टर कौशल चौधरी का सक्रिय सहयोगी था और आपराधिक गतिविधियों के लिए धन और गुर्गे जुटाने में अहम भूमिका निभाता था। उन्होंने बताया कि उसका प्रभाव भारत से बाहर भी फैला हुआ था और वह विदेश में सक्रिय खालिस्तानी समर्थक तत्वों से जुड़ा हुआ था।
उन्होंने कहा कि इन संबंधों ने कथित तौर पर अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिनमें पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संगठन (एसओपीयू) के पूर्व अध्यक्ष विक्की मिधुखेड़ा, गुरलाल बराड़ और अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नांगल अंबिया की चर्चित हत्याएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2007 में दक्षिण अफ्रीका से पहली बार निर्वासन के बाद, ग्योंग भागने में सफल रहा और उसने अपना आपराधिक साम्राज्य फिर से खड़ा कर लिया, जिससे वह लगातार खतरा बना रहा।’’
पुलिस ने बताया कि ग्योंग का आपराधिक इतिहास दो दशक से भी पुराना है, उसके नाम पर 24 मामले दर्ज हैं। उसने बताया कि कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद भी वह विदेश से अपनी आपराधिक गतिविधियों को जारी रखता था और भारत में अपराध करने के लिए अपने नेटवर्क का इस्तेमाल करता था।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने कहा, ‘‘ग्योंग हरियाणा में अपने जबरन वसूली नेटवर्क को फिर से तैयार कर रहा था, चिकित्सकों, शराब विक्रेताओं और अमीर व्यापारियों को निशाना बना रहा था। उसकी गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियों को भारतीय आपराधिक सिंडिकेट और विदेशी आतंकी नेटवर्क के बीच और अधिक संबंधों का पता चलने की उम्मीद है। उससे पूछताछ में प्रमुख गुर्गों, रसद केंद्रों और वित्तीय मददगारों का पता चलने की संभावना है।’’
भाषा धीरज नरेश
नरेश