खिलाड़ियों ने प्रस्तावित खेल नियामक बोर्ड में अधिक प्रतिनिधित्व की मांग की

Ankit
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नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) देश के शीर्ष एथलीटों ने राष्ट्रीय खेल विधेयक के मसौदे पर खेल मंत्री मनसुख मांडविया से परामर्श के दौरान बुधवार को यहां खिलाड़ियों के लिए अधिक प्रतिनिधित्व, सरकारी और निजी हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय और प्रस्तावित खेल नियामक संस्था के कार्यक्षेत्र के बारे में बातचीत की।


खेल नियामक बोर्ड की स्थापना मसौदा विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। इस निकाय के पास भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और राष्ट्रीय खेल महासंघों को संबद्धता प्रदान करने, नवीनीकृत करने और निलंबित करने का अधिकार होगा।

आईओए अध्यक्ष पीटी उषा पहले ही इसकी अत्यधिक शक्तियों पर सवाल उठा चुकी हैं। उन्होंने आगाह किया है कि इसके संविधान को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा सरकारी हस्तक्षेप माना जा सकता है, जिससे भारत को निलंबित किया जा सकता है।

मसौदा विधेयक के अनुसार राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल महासंघों, राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति और उनकी सहयोगी इकाइयों को खेल नियामक बोर्ड द्वारा निर्धारित जानकारी को सार्वजनिक करना होगा।

मांडविया के साथ बुधवार की बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि कई खिलाड़ियों और कोचों ने इस कदम का स्वागत किया लेकिन उन्होंने नियामक संस्था में अधिक प्रतिनिधित्व की मांग की।

मसौदा विधेयक में पांच सदस्यीय नियामक संस्था में सिर्फ एक खेल रत्न और एक द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता का प्रावधान है, जबकि सचिव (खेल) इसके अध्यक्ष होंगे और महानिदेशक (भारतीय खेल प्राधिकरण) इसके पदेन सदस्य होंगे।

पांचवां सदस्य राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का कुलपति होगा।

इस सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, ‘‘ इस बैठक में शारीरिक या ऑनलाइन तरीके से लगभग 130 खिलाड़ी और कोच ने हिस्सा लिया। इसमें से ज्यादातर ने नियामक संस्था का समर्थन किया। इसमें खिलाड़ियों और कोचों की अधिक भागीदारी की मांग की गयी।

ऊंची कूद खिलाड़ी तेजस्विन शंकर, राइफल निशानेबाज सिफ्त कौर सामरा, पूर्व पिस्टल निशानेबाज और ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर के कोच जसपाल राणा और रंजन सोढ़ी व्यक्तिगत रूप से बैठक में शामिल हुए तो वहीं शीर्ष भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा, टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल, भारोत्तोलक मीराबाई चानू और महिला मुक्केबाज निकहत जरीन इसमें ऑनलाइन शामिल हुई। इन सभी खिलाड़ियों ने मसौदा विधेयक पर अपने विचार रखे।

सूत्र ने कहा कि खेल मंत्री ने भरोसा दिया कि यह निकाय स्वायत्त होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मांडविया से जब पूछा गया कि क्या प्रस्तावित नियामक संस्था को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि ‘यह स्वायत्त होगी’। सरकार द्वारा निकाय का गठन हो जाने के बाद, यह स्वायत्त रूप से कार्य करेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ निकाय की शक्तियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह सब विधेयक में परिभाषित है।’’

 बैठक में मौजूद एक अन्य सूत्र ने कहा कि निशानेबाजी के एक प्रमुख कोच ने राष्ट्रीय खेल महासंघों द्वारा अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए अस्तित्व में नहीं होने वाले राज्य संघों को मान्यता देने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

सूत्र ने कहा, ‘‘उन्होंने मंत्री से कहा कि ऐसे राज्य हैं जो केवल चुनाव परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए मतदान के अधिकार के लिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्य इकाइयां हैं जो केवल कागजों पर मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि इन तथाकथित राज्य इकाइयों का राष्ट्रीय चैंपियनशिप और राष्ट्रीय खेलों में प्रतिनिधित्व बहुत ही नगण्य है।’’

सूत्र ने कहा कि एक बड़े खिलाड़ी ने निजी संस्थानों और सरकार के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक रूपरेखा की मांग की।

सूत्र ने कहा, ‘‘वह चाहते थे कि सभी खेल महासंघों, उद्योगपतियों और अन्य हितधारकों को एक साथ बैठना चाहिए और खेलों में सुधार करना चाहिए।’’

वर्तमान में जिंदल, अंबानी और टाटा जैसे प्रमुख कॉरपोरेट अपने फाउंडेशन के माध्यम से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और प्रबंधन में शामिल हैं।

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर



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