नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) पेरिस के युवेस डु मनोइर स्टेडियम हूटर बजते ही भारतीय हॉकी टीम कांस्य पदक जीतने से भारत में बैठे खिलाड़ियों के परिवारों में भावनाओं का सैलाब उबरने लगा और खुशी की लहर दौड़ गई।
पूरे भारत में सभी की आंखें टीवी स्क्रीन से चिपकी हुई थीं और पदक मिलते ही सभी की आंखों खुशी से चमकने लगीं।
अमृतसर में हरमनप्रीत के पिता सरबजीत सिंह ने कहा कि पेरिस में कांस्य पदक सोने से कम नहीं है।
सरबजीत ने ‘पीटीआई टीवी’ से कहा, ‘‘हमारे लिए यह बिलकुल स्वर्ण पदक की तरह ही है। यह सब भगवान की कृपा है, सभी खिलाड़ी सही हैं, भगवान का शुक्र है कि कोई चोटिल नहीं हुआ। ’’
मोबाइल फोन बंद ही नहीं हो रहे, उन पर लगातार बधाई संदेश और कॉल आ रहे हैं।
राजविंदर कौर के बेटे हरमनप्रीत ने स्पेन पर मिली 2-1 की जीत में दोनों गोल किए और उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘उसका प्रदर्शन शानदार रहा। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। हम स्वर्ण चाहते थे और बच्चों ने इसके लिए बहुत मेहनत की, लेकिन मैच बहुत कठिन था। भगवान का शुक है कि हमने कांस्य पदक जीत लिया। ’’
भारत मंगलवार को सेमीफाइनल में जर्मनी से 2-3 से हार गया था जिससे देशवासियों को काफी निराशा हुई थी। लेकिन उन्होंने लगातार दूसरा कांस्य पदक जीतकर पोडियम स्थान सुनिश्चित किया।
हरमनप्रीत के भाई कोमलप्रीत ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं, पूरा गांव खुश है। खेल का हर सेकंड महत्वपूर्ण था, लेकिन भगवान ने हम पर कृपा की और हम जीत गए। टीम कांस्य पदक की हकदार थी। ’’
उन्होंने खुशी बांटने के लिए सबको मोतीचूर के लड्डू बांटे।
यह अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश का आखिरी मैच था और उनके साथियों ने पदक उन्हें समर्पित किया।
हरमनप्रीत के कोच यादविंदर सिंह ने कहा, ‘‘हम सभी बेहद खुश हैं कि भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। आखिरी मैच हारने के बाद लड़कों ने जो वापसी की वह असाधारण थी। लड़कों ने खेल के आखिरी मिनट तक अपना शत प्रतिशत दिया। हमें पूरी टीम और विशेषकर पीआर श्रीजेश पर गर्व है। ’’
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में मिडफील्डर विवेक सागर प्रसाद के परिवार के सदस्य ‘ढोल’ की थाप पर नाचते हुए सड़कों पर उतर आये।
जालंधर में फॉरवर्ड मंदीप सिंह के परिवार ने जश्न में नृत्य किया।
मनदीप की मां दविंदरजीत कौर ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं और पूरे परिवार को टीम पर गर्व है जिसने कांस्य पदक जीता। उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। ’’
मनदीप के पिता रवींद्र सिंह ने कहा, ‘‘हमें उन पर गर्व है। उन्होंने पूरे पंजाब और भारत को गौरवान्वित किया है।’’
वाराणसी में फॉरवर्ड ललित उपाध्याय की मां रीता की आंखें खुशी और संतुष्टि के आंसुओं से चमक उठीं।
पड़ोसियों और परिवार से घिरी रीता ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं। हमने भगवान पर छोड़ दिया और कहा था, ‘मेरे बच्चों को खाली हाथ मत लौटने देना, उन्हें एक पदक देना’। ’’
भाषा नमिता मोना
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