कोली को बरी करने के खिलाफ अपील पर बहस के लिए तैयार न होने पर न्यायालय ने नाखुशी जताई |

Ankit
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नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली अपनी अपील पर बहस करने के लिए समय मांगे जाने पर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘अनिवार्य रूप से’ शब्द का कोई सम्मान नहीं रह गया है।


न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि 25 मार्च को पारित अपने अंतिम आदेश में न्यायालय ने कहा था, ‘‘अनिवार्य रूप से, इन मामलों को तीन अप्रैल के लिए सूचीबद्ध करें।’’

जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया पीड़ितों में से एक के पिता की ओर से पेश हुए वकील, जिन्होंने कोली को बरी किए जाने को चुनौती दी है, ने कहा कि उन्हें मामले पर बहस करने के लिए कुछ समय चाहिए।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘आपको यह अनुरोध पहले की तारीख पर करना चाहिए था जब मामला तय किया गया था। इससे बाहर से आने वाले वकीलों को असुविधा हो रही है।’’

कोली के वकील ने कहा कि उसके खिलाफ एकमात्र सबूत 60 दिन की पुलिस हिरासत के बाद दिया गया इकबालिया बयान है, जिसमें उसे यातनाएं दी गई थीं।

पीठ ने नाखुशी व्यक्त की और कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पिछली तारीख पर नौ वरिष्ठ वकील इस मामले में पेश हुए थे, लेकिन आज उनमें से एक भी बहस करने के लिए तैयार नहीं है।

इसने कहा, ‘‘यह सीबीआई की बहुत ही दुखद तस्वीर पेश करता है।’’

पीठ ने मामले की सुनवाई 29 अप्रैल के लिए तय की।

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल



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