कोरोना काल में सरदार सिंह से मिले गुरूमंत्र ने बेहतर खिलाड़ी बनाया : राजिंदर सिंह |

Ankit
4 Min Read


(मोना पार्थसारथी)


नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर ( भाषा) कोरोना काल में जब खेल बंद पड़े थे तब सत्रह साल का एक युवक हरियाणा के सिरसा की नामधारी अकादमी में भारत के महान मिडफील्डर सरदार सिंह से हॉकी के गुर सीख रहा था और उनसे मिले ‘गुरूमंत्र’ ने सीनियर टीम में उसके प्रवेश की राह सुगम की ।

हम बात कर रहे हैं सिरसा के संतनगर के 21 बरस के मिडफील्डर राजिंदर सिंह की । एक नयी हॉकी स्टिक के लिये खेल में पदार्पण करने वाले राजिंदर पर सरदार का असर कुछ ऐसा रहा कि अब वह जर्मनी के खिलाफ 23 और 24 अक्टूबर को होने वाले दो मैचों में भारत की सीनियर टीम में पदार्पण कर रहे हैं ।

भारतीय हॉकी को सरदार , गुरमेल सिंह, दीदार सिंह जैसे कई खिलाड़ी देने वाली नामधारी अकादमी से निकले राजिंदर ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ मेरा कजिन नामधारी अकादमी में खेलने जाता था और वहां जो भी नया खिलाड़ी आता था, उसे नयी स्टिक मिलती थी । उसकी स्टिक देखकर मैने भी जाने का फैसला किया और घास के मैदान से शुरूआत हुई ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ सरदार सिंह मेरे रोल मॉडल रहे हैं और मेरे खेल पर उनका काफी प्रभाव है ।वह हमारी अकादमी में बहुत कुछ सिखाते थे मसलन दबाव में गेंद कैसे रिसीव करनी है, रिलीज कैसे करनी है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ कोरोना महामारी के दौरान वह अकादमी में ही थे तो मैने काफी सत्रों में उनके साथ समय बिताया । वहां बहुत कुछ सीखने को मिला ।’’

राजिंदर का भाई आस्ट्रेलिया में और बहन कनाडा में रहती है लेकिन उनका लक्ष्य भारत के लिये हॉकी खेलना ही रहा है । उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इतनी जल्दी सीनियर स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा और वह यूरोप दौरे पर ए टीम में चुने जाने की अपेक्षा कर रहे थे ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मैने सोचा नहीं था कि इस टेस्ट श्रृंखला में मौका मिलेगा । मुझे लगा था कि यूरोप दौरे पर मौका मिलेगा । मेरे लिये यह सरप्राइज था । जर्मनी काफी टफ टीम है । उसके साथ खेलने में मजा आयेगा ।’’

बारह वर्ष की उम्र से खेल रहे राजिंदर ने जूनियर अकादमी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2021 में सर्वाधिक गोल किये । वहीं से जूनियर शिविर में आए और पिछले साल जूनियर विश्व कप खेला ।

भारतीय क्रिकेट कप्तान रोहित शर्मा के प्रशंसक राजिंदर ने कहा कि भारतीय ड्रेसिंग रूम में उन्हें लगता ही नहीं कि वह नये हैं और पूरी टीम का तालमेल बहुत अच्छा है ।

उन्होंने कहा ,‘‘टीम में काफी सकारात्मक माहौल रहता है । सीनियर खिलाड़ी बहुत कुछ सिखाते हैं, गलती करने पर सही राय देते हैं । अच्छा खेलने पर शाबासी देते हैं । भारतीय हॉकी टीम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि कोई भी गलती करे, सभी कवर करते हैं । कोई किसी को दोष नहीं देता । काफी सकारात्मक माहौल है ।’’

कोबे ब्रायंट किताबों से प्रेरणा लेने वाले राजिंदर को यकीन है कि भारतीय हॉकी टीम 2028 लॉस एंजिलिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत सकती है और वह इतिहास का हिस्सा बनने को बेताब हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘यह टीम 2028 में स्वर्ण पदक जीत सकती है । मैं पूरी कोशिश करूंगा कि टीम में जगह बना सकूं । इसके लिये पहले एशियाई खेल, विश्व कप खेलना है और अच्छा प्रदर्शन करना है ।’’

भाषा मोना पंत

पंत



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *