कोका-कोला के ‘हाफ टाइम’ के जवाब में पेप्सिको का ‘एनी टाइम’ |

Ankit
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नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) पेय पदार्थ बनाने वाली प्रमुख कंपनियों कोका-कोला और पेप्सिको के बीच रचनात्मकता के साथ विज्ञापन युद्ध फिर शुरू हो गया है। इस बार प्रतिद्वंद्वी कोका-कोला के ‘हाफ टाइम’ विज्ञापन के जवाब में पेप्सिको ने ‘एनी टाइम’ का अभियान शुरू किया है।


आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए प्रतिद्वंद्वी कोका-कोला के ‘हाफ टाइम’ अभियान का जवाब देते हुए, पेप्सिको ने उपभोक्ताओं का ध्यान खींचने की कोशिश की है। इसके तहत कोका- कोला के विज्ञापन के जवाब में कंपनी ने ‘एनी टाइम’ अभियान की शुरुआत करते हुए अखबार में एक पूरे पेज का विज्ञापन जारी किया है।

एक महीने पहले टीवी और डिजिटल मंच पर शुरू किए गए अपने ‘हाफ टाइम’ अभियान में, कोका-कोला ने विराम के समय ठंडे शीतल पेय के साथ तरोताजा होने का संदेश दिया था।

हालांकि, पेप्सिको ने ‘एनी टाइम’ टैग लाइन के साथ ग्रीष्मकालीन अभियान की शुरुआत की है। इसके जरिये संदेश दिया गया है कि किसी विशेष क्षण का इंतजार क्यों करें जब हाथ में पेप्सी के साथ हर पल बेहतर होता है।

पेप्सी ने अपने नवीनतम विज्ञापन में पेय का आनंद लेने के लिए जीवन के सर्वोत्तम क्षणों को सूचीबद्ध किया है… पहली बार, प्यास का समय, दिन का समय, खेलने का समय, कक्षा का समय, पास का समय, संकट का समय, दोपहर के भोजन का समय, ठंड का समय, एक और समय, रात्रिभोज का समय, विजेता का समय, हमारा समय, मेरा समय।

इस विज्ञापन ने विज्ञापनों के रचानात्मक दौर के पुराने दिनों को वापस ला दिया है। इसको लेकर लोगों ने सोशल मीडिया मंच पर भी टिप्पणियां की हैं। लोगों ने 1996 के विज्ञापन युद्ध को याद किया, जब पेप्सी ने ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ शीर्षक से अपना विज्ञापन अभियान शुरू किया था।

पेप्सिको ने 1996 क्रिकेट विश्व कप में कोका-कोला के हाथों आधिकारिक पेय को लेकर प्रायोजन अधिकार खो दिया था। प्रतियोगिता की मेजबानी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से की थी।

इसके बाद, पेप्सिको ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ अभियान लेकर आई। इस विज्ञापन में क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली और मोहम्मद अजहरुद्दीन जुड़े थे।

पेप्सिको ने एक बयान में कहा, ‘‘जिन लोगों को याद है, उनके लिए ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ सिर्फ एक अभियान नहीं था – यह एक सांस्कृतिक क्षण था। ब्रांड दर्शकों के बीच जुनून में बदल गया। यह साबित करता है कि कभी-कभी, बहुत अधिक प्रयास न करना ही जीत का कदम होता है। और अब, दशकों बाद, पेप्सी उसी सहज आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ा रही है।’’

भाषा

रमण अजय

अजय



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