कैसे यमुना नदी से जुड़े विवाद ने दिल्ली में ‘आप’ को डुबोया |

Ankit
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नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी से जुड़े मुद्दों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, मतदाताओं की भावना को नया आकार दिया और आम आदमी पार्टी(आप) को हराकर सत्ता में वापसी करने में भाजपा की मदद की।


इस बदलाव का एक मुख्य कारण हरियाणवी मूल के मतदाताओं की प्रतिक्रिया है, जिन्होंने यमुना के प्रदूषण पर ‘आप’ के बयान को अपने गृह राज्य पर हमला माना।

भाजपा ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए हुए चुनाव में, शनिवार को 48 सीट पर जीत दर्ज की। पार्टी ने हरियाणवी मूल के 14 उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 12 विजयी हुए। वहीं, ‘आप’ के 10 ऐसे उम्मीदवार थे, लेकिन केवल चार ही जीत पाए।

दस प्रतिशत से अधिक जाट मतदाताओं वाले 13 निर्वाचन क्षेत्रों में, भाजपा ने 11 सीटें हासिल कीं, जो 2020 से एक बड़ा उलटफेर है। भाजपा ने हरियाणा की सीमा से लगी 11 में से नौ सीटों पर जीत हासिल की।

दिल्ली में 52 किलोमीटर की दूरी तय करने और 15 निर्वाचन क्षेत्रों से गुजरने वाली यमुना लंबे समय से पर्यावरणीय उपेक्षा का प्रतीक रही है।

केजरीवाल ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि वह यमुना को साफ करेंगे। हर साल, जब नदी में झाग की मोटी परत जम जाती है, खासकर छठ पर्व पर जब लोग घाटों पर पूजा करते थे, तो आप सरकार को अपने अधूरे वादे की याद आती थी।

केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘‘जब वह (केजरीवाल) यमुना को साफ करने में विफल रहे, तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में इसका पानी जहरीला किया जा रहा है। यह बयान उन्हें बहुत महंगा पड़ा है। अगर उन्होंने ऐसा बयान नहीं दिया होता, तो उनकी पार्टी 5-7 सीटें अधिक जीतती।’’

खट्टर ने रविवार को कहा, ‘‘दिल्ली के 40 प्रतिशत से अधिक निवासी हरियाणा से हैं। (केजरीवाल के) इस बयान ने हरियाणा और दिल्ली के लोगों का अपमान किया है।’’

वर्ष 2020 में ‘आप’ ने यमुना से लगे इलाकों में अपना दबदबा बनाया था और 15 में से 13 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार भाजपा ने उनमें से नौ सीटें जीत लीं। ‘आप’ की कुल सीटें 62 से घटकर 22 रह गईं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद शनिवार को कहा था, ‘‘मैंने चुनाव प्रचार के दौरान संकल्प लिया था कि हम यमुनाजी को दिल्ली की पहचान बनाएंगे…चाहे कितना भी समय लगे, चाहे जितनी भी ऊर्जा लगे, लेकिन अगर संकल्प मजबूत है, तो यमुनाजी का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।’’

भाषा सुभाष नरेश

नरेश



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