केवल इतना ही सोचना कि आप भूखे हैं, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बदल सकता है

Ankit
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मैनचेस्टर (ब्रिटेन), पांच अप्रैल (द कन्वरसेशन) भूख महसूस होने पर आप ना केवल कुछ खाने के लिए लालायित होते हैं, बल्कि यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बदल सकता है।


चूहों पर हाल ही में किए गए अध्ययन में हमने पाया कि भूख के अहसास मात्र से ही रक्त में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में परिवर्तन हो सकता है। इससे पता चलता है कि मस्तिष्क में भूख के बारे में विचार आना भी प्रतिरक्षा प्रणाली के बदलाव को प्रभावित कर सकता है।

‘साइंस इम्यूनोलॉजी’ में प्रकाशित हमारा नया शोध, उस दीर्घकालिक धारणा को चुनौती देता है कि प्रतिरक्षा मुख्य रूप से पोषण में वास्तविक व भौतिक परिवर्तनों से प्रभावित होती है जैसे रक्त शर्करा या पोषक तत्वों के स्तर में परिवर्तन। इसके बजाय, नया शोध दर्शाता है कि केवल धारणा (मस्तिष्क का यह सोचना कि क्या हो रहा है) प्रतिरक्षा को नया आकार दे सकती है।

हमने दो प्रकार की अति विशिष्ट मस्तिष्क कोशिकाओं (एजीआरपी न्यूरॉन और पीओएमसी न्यूरॉन) पर ध्यान केंद्रित किया, जो शरीर की ऊर्जा स्थिति को समझती हैं तथा इसकी प्रतिक्रिया में भूख लगने और भूख मिटने का अहसास कराती हैं।

जब ऊर्जा कम होती है तो एजीआरपी न्यूरॉन भूख बढ़ने का अहसास देते हैं, जबकि पीओएमसी न्यूरॉन खाने के बाद तृप्ति का संकेत देते हैं।

आनुवंशिक उपकरणों का उपयोग करते हुए, हमने उन चूहों में भूख के न्यूरॉन को कृत्रिम रूप से सक्रिय किया, जिन्होंने पहले से ही भरपूर भोजन खा लिया था।

मस्तिष्क कोशिकाओं के इस छोटे लेकिन शक्तिशाली समूह को सक्रिय करने से चूहों में भोजन की तलाश करने की तीव्र इच्छा पैदा हुई। यह खोज पिछले कई अध्ययनों में दिखाए गए तथ्यों पर आधारित है।

हालांकि, हमें आश्चर्य हुआ कि इस कृत्रिम भूख की स्थिति के कारण रक्त में विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाओं में भी उल्लेखनीय गिरावट आई, जिन्हें ‘मोनोसाइट’ कहा जाता है। ये कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की पहली रक्षा पंक्ति का हिस्सा हैं और सूजन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

इसके विपरीत, जब हमने खाना नहीं खाने वाले चूहों में पीओएमसी न्यूरॉन को सक्रिय किया, तो मोनोसाइट स्तर सामान्य के करीब पहुंच गए, भले ही चूहों ने कुछ खाया न हो।

इन प्रयोगों से हमें पता चला कि भूख लगने या भोजन मिलने की मस्तिष्क की धारणा, रक्त में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त थी।

यह समझने के लिए कि मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच यह आधार कैसे काम करता है, हमने देखा कि मस्तिष्क यकृत के साथ कैसे संचार करता है। यह अंग शरीर में ऊर्जा के स्तर को समझने में महत्वपूर्ण है। शोध से यह भी पता चला है कि यकृत अस्थि मज्जा के साथ संचार करता है, जो हड्डियों के अंदर का नरम ऊतक है जहां रक्त और प्रतिरक्षा कोशिकाएं बनती हैं।

हमने भूख संबंधी न्यूरॉन और यकृत के बीच तंत्रिका तंत्र के माध्यम से एक सीधा संबंध पाया, जो हृदय गति, रक्त प्रवाह जैसे कार्यों को विनियमित करने तथा अंगों द्वारा तनाव एवं ऊर्जा की मांग के संबंध में प्रतिक्रिया करने में व्यापक भूमिका निभाता है।

(द कन्वरसेशन) शफीक माधव

माधव



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