तिरुवनंतपुरम, 29 मार्च (भाषा) केरल विश्वविद्यालय के एक संकाय सदस्य के पास से 71 एमबीए छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं के गायब होने से राज्य में विवाद पैदा हो गया है तथा विपक्षी दल संयुक्त लोकतंत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इसे उच्च शिक्षा क्षेत्र में ‘‘कुप्रबंधन और राजनीतिकरण’’ का उदाहरण बताया है।
वर्ष 2022-24 बैच की तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा से ‘‘प्रोजेक्ट फाइनेंस’’ विषय की उत्तर पुस्तिकाएं महीनों पहले मूल्यांकन के लिए संकाय सदस्य को सौंपे जाने के बाद गायब हो गईं।
विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने शनिवार को विश्वविद्यालय पर पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद भी परिणाम में देरी करके मामले को छुपाने का आरोप लगाया।
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने स्वीकार किया कि संकाय सदस्य का कृत्य ‘‘घोर लापरवाही’’ है और आश्वासन दिया कि सरकार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी।
उन्होंने शनिवार को मीडिया से कहा, ‘‘सरकार इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रही है। विश्वविद्यालय इस मुद्दे को राज्य पुलिस प्रमुख के समक्ष उठाएगा।’’
मंत्री ने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं का गायब होना एक ‘‘सुनियोजित’’ कदम का हिस्सा हो सकता है।
बिंदु ने कहा, ‘‘संकाय सदस्य पूरे समय चुप रहे, जो उनकी ओर से गंभीर चूक का संकेत है।’’
सतीशन ने एक बयान में आरोप लगाया कि उत्तर पुस्तिकाओं का गायब होना इस बात का एक और उदाहरण है कि किस तरह सरकार के ‘‘कुप्रबंधन और राजनीतिकरण’’ ने उच्च शिक्षा क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं के गायब हो जाने के कारण छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
विपक्ष के नेता ने कहा, ‘विश्वविद्यालय ने अब छात्रों से 10 महीने पहले आयोजित की गई परीक्षा दोबारा देने को कहा है। विश्वविद्यालय द्वारा की गई गलती के लिए छात्रों को दंडित करना अस्वीकार्य है।’
यह घटना तब प्रकाश में आई, जब पलक्कड़ निवासी एक संकाय सदस्य ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बताया कि बाइक से यात्रा के दौरान उत्तर पुस्तिकाएं उसके पास से गायब हो गई थीं।
विवाद बढ़ने पर संकाय सदस्य प्रमोद ने शनिवार को विश्वविद्यालय की उस प्रथा को दोषी ठहराया, जिसमें शिक्षकों को घर से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘मैं इस मुद्दे पर कानूनी रूप से लड़ने के लिए तैयार हूं।’’
इस बीच, छात्रों ने उत्तर पुस्तिकाएं गायब होने के मद्देनजर दोबारा परीक्षा कराने के विश्वविद्यालय के फैसले पर चिंता और असंतोष व्यक्त किया है।
भाषा देवेंद्र दिलीप
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