केरल में जंगली हाथी के हमले में दो आदिवासियों की मौत |

Ankit
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त्रिशूर (केरल), 15 अप्रैल (भाषा) जिले के अथिरापिल्ली जंगल में वनोपज एकत्र करने के लिए गए दो आदिवासी व्यक्तियों की एक जंगली हाथी के हमले में मौत हो गई। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।


कांग्रेस नेता वी डी सतीसन ने इस तरह की घटनाओं को रोकने में विफलता को लेकर सरकार की आलोचना की है।

पुलिस को आशंका है कि यह घटना सोमवार को शाम करीब साढ़े सात बजे हुई होगी। मृतकों के शव मंगलवार की सुबह पास के एक सरकारी अस्पताल में भेजे गए।

दोनों मृतकों की पहचान अंबिका और सतीश के रुप में हुई है, जो पास के वाझाचल में आदिवासी बस्ती में रहते थे।

पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, अंबिका और सतीश दो अलग-अलग आदिवासी परिवारों से थे और वनोपज एकत्र करने के लिए एक चट्टान पर अस्थायी तंबू लगाकर वहां ठहरे थे। अधिकारी ने आशंका जताई कि रात को जंगली हाथियों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया होगा।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह भी जांच की जा रही है कि क्या वहां और लोग भी थे और वे हाथियों को देख कर भागे तथा वन क्षेत्र में फंस गए।

इस घटना के बाद केरल में पिछले दो दिन में जंगली हाथियों के हमलों में मरने वालों की संख्या तीन हो गई।

रविवार रात मलाक्कापारा में 20 वर्षीय एक आदिवासी युवक की हाथी के हमले में जान चली गई थी।

इस बीच नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीसन ने राज्य सरकार और वन मंत्री ए के ससींद्रन की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले दो दिनों में जंगली हाथी के हमले में तीन लोगों की मौत के बावजूद अधिकारी कुछ नही कर रहे है।

एक बयान में उन्होंने कहा कि कड़े कदम उठाने के लिए लगातार अनुरोध किए जाने के बावजूद सरकार कुछ नहीं कर रही है और जंगल में रहने वाले लोगों को उनके हालात पर छोड़ दिया गया है।

सतीसन ने कहा, ‘‘सरकार को चाहिए कि उन इलाकों में विशेष निगरानी दल तैनात करे जहां बार-बार हाथी आते-जाते हैं। साथ ही लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए।’’

नेता प्रतिपक्ष ने वन मंत्री से कहा कि वह बार बार यह न दोहराएं कि जंगली जानवरों के हमले जंगल के अंदर होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दो आदिवासी वनोपज एकत्र करने गए थे और मारे गए। वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी जंगल में रहते हैं। उन्हें सुरक्षा मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है।’’

सतीसन ने कहा कि केरल एक अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहा है जहां रोज जंगली जानवरों के हमले हो रहे है। उन्होंने आरोप लगया कि सरकार और वन विभाग असली समस्या का हल न करने के दोषी हैं।

उन्होंने बताया कि इस साल अब तक 18 लोगों की जान जंगली जानवरों के हमलों में जा चुकी है।

विपक्ष के नेता ने कहा कि जब फरवरी में जंगली जानवरों के हमले में पांच लोग मारे गए थे, तब वन मंत्री ने तत्काल कारवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया अगर तुरंत कार्रवाई नही की जा सकती, तो उन्हें पद पर क्यों बने रहना चाहिए?

भाषा मनीषा

मनीषा



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