नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को द्रविड़ मुनेत्र कषगम सदस्य तिरुचि शिवा ने केंद्र सरकार पर तमिलनाडु को धन के आवंटन में कटौती करके ‘‘सहकारी संघवाद की भावना’’ को कमजोर करने का आरोप लगाया।
शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में शिवा ने यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि राज्य पिछले कई वर्षों से सौतेले व्यवहार का सामना कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि राज्य को अपर्याप्त आपदा राहत मिली, कर हस्तांतरण में कमी आई और उसे असंगत परियोजना मंजूरी का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को चक्रवात फेंगल और मिचांग तथा अभूतपूर्व बाढ़ से भारी नुकसान पहुंचा, फिर भी केंद्र ने 37,906 करोड़ रुपये की मांग के मुकाबले केवल 267 करोड़ रुपये जारी किए।
शिवा ने कहा, ‘‘मांग की तुलना में यह बहुत कम राशि है। यह घोर अपर्याप्तता न केवल तबाही की भयावहता बल्कि राज्य पर पड़ने वाले दबाव की भी अनदेखी करती है।’’
उन्होंने मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो रेल परियोजना में देरी का जिक्र करते हुए कहा कि नौकरशाही की ओर से लगातार की जा रही देरी और कई स्तरों पर जांच से उपेक्षा का एक पैटर्न झलकता है, जो राज्य के विकास को बाधित करता है।
शिवा ने कहा, ‘‘तमिलनाडु की आबादी (देश की कुल आबादी का) केवल 6.9 प्रतिशत है, जबकि यह सकल घरेलू उत्पाद में 9 प्रतिशत का योगदान देता है। ऐसे भी राज्य हैं जिनका अधिक आबादी होने के बावजूद जीडीपी में योगदान कम है।
उन्होंने राज्यों को आवंटित केंद्रीय करों के हिस्से में कमी का मुद्दा भी उठाया और केंद्र से न्यायसंगत आपदा राहत जारी करने और कर हिस्सेदारी को संशोधित करने का आग्रह किया।
शिवा ने कहा, ‘‘देश भर में न्यायसंगत राजकोषीय नीति को बढ़ावा देना न केवल संवैधानिक आवश्यकता है, बल्कि भारत के संतुलित विकास के लिए जरूरी भी है।’’
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश