नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) देश के कृषि श्रमिकों में महिलाओं की भागीदारी 64.4 प्रतिशत होने के बावजूद सिर्फ 6-10 प्रतिशत महिलाएं ही शीर्ष कृषि और कृषि-संबंधित कंपनियों में कार्यरत हैं। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
‘कृषि व्यवसाय में महिलाएं- अवसर और चुनौतियां’ रिपोर्ट को गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद और गोदरेज डीईआई लैब के सहयोग से अपने दूसरे महिला कृषि शिखर सम्मेलन में पेश किया।
गोदरेज एग्रोवेट के प्रबंध निदेशक बलराम सिंह यादव ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारा मत है कि कृषि व्यवसाय का भविष्य शिक्षा, कार्यस्थल समावेशिता और नेतृत्व विकास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने में निहित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल हमने कृषि मूल्य श्रृंखला में एक लाख महिलाओं को समर्थन देने का संकल्प लिया था और मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने सिर्फ़ एक साल में ही 20,000 महिलाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि के अध्ययन में होने वाले कुल नामांकन में महिलाओं की हिस्सेदारी 30-40 प्रतिशत है, लेकिन बहुत कम ही औपचारिक रोजगार में प्रवेश करती हैं।
आईआईएमए की संकाय सदस्य विद्या वेमिरेड्डी ने कहा, ‘‘भारत में कृषि परिदृश्य हमें एक आश्चर्यजनक विरोधाभास दिखाता है। महिलाएं कृषि कार्यबल और शैक्षिक समूहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, फिर भी स्नातकों का एक बड़ा हिस्सा औपचारिक रोजगार संरचनाओं में प्रवेश नहीं करता है।’’
यह रिपोर्ट स्त्री-पुरुष असमानताओं को पाटने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है, जिसमें संसाधनों तक समान पहुंच और समावेशी कार्यस्थल सुधार शामिल हैं।
शिखर सम्मेलन में, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड की कार्यकारी अध्यक्ष निसाबा गोदरेज और बलराम सिंह यादव ने कृषि अध्ययन करने वाले पांच छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की शुरुआत की घोषणा की।
गोदरेज एग्रोवेट की मानव संसाधन प्रमुख मल्लिका मुटरेजा ने कहा कि कंपनी में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान महिलाओं का प्रतिनिधित्व आठ प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत हो गया है और वित्त वर्ष 2027-28 तक इसे 32 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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