कृत्रिम प्रकाश से रात में जीवित प्राणियों पर पड़ने वाले प्रभाव संबंधी याचिका की जांच करेगा एनजीटी

Ankit
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नयी दिल्ली, एक जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ‘‘रात में कृत्रिम प्रकाश’’ के कारण पौधों, जानवरों और मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से संबंधित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।


याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह का कृत्रिम प्रकाश प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाओं को बाधित करता है, जिससे मानव सर्कैडियन लय, रात्रिकालीन वन्यजीव व्यवहार, पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

सर्कैडियन लय शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक परिवर्तन हैं जो एक जीव 24 घंटे के चक्र में अनुभव करता है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 23 दिसंबर के आदेश में कहा कि विभिन्न प्रकाशित लेखों, अध्ययनों और शोध के आधार पर यह याचिका दायर की गई है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अधिकरण की भोपाल क्षेत्रीय पीठ ने जुलाई 2023 के आदेश में कहा था कि प्रकाश प्रदूषण के मुद्दे पर विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है। वहीं, अधिकरण की पश्चिमी क्षेत्रीय पीठ ने 2024 में समाचार पत्र में जारी उस खबर का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें महाराष्ट्र के नवी मुंबई में डीपीएस झील के पास प्रकाश प्रदूषण के कारण दृष्टि प्रभावित होने से एक राजहंस की मौत हो गई थी।

अधिकरण ने कहा, ‘‘प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें।’’

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस मामले में प्रतिवादी हैं।

न्यायाधिकरण ने कहा था, ‘‘प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।’’

उसने सुनवाई की तारीख 17 अप्रैल तय की है।

भाषा प्रीति सुरेश

सुरेश



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