किसी देश की प्रगति हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान की समर्पित कोशिश से परिभाषित होती है : राष्ट्रपति |

Ankit
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नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा)राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को रेखांकित किया कि करुणा, समावेशिता और सद्भाव भारतीय सभ्यता की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की सच्ची प्रगति हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान के प्रति उसके समर्पण से परिभाषित होती है।


उन्होंने सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘पर्पल फेस्ट 2025’ को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय, गरिमा और समानता के भारत के संवैधानिक मूल्यों को दोहराया। इस उत्सव का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘किसी देश या समाज की पहचान इस बात से नहीं होती कि वह सुविधा संपन्न लोगों के लिए क्या करता है, बल्कि वह हाशिए पर पड़े लोगों के प्रति अपनी संवेदनशीलता के कारण जाना जाता है।’’

उन्होंने कहा कि करुणा, समावेशिता और सद्भाव भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग हैं।

राष्ट्रपति ने ‘सुगम्य भारत अभियान’ सहित विभिन्न पहलों के माध्यम से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, जो भौतिक और डिजिटल दोनों प्रकार की पहुंच पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा, ‘‘सबका साथ, सबका विकास के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर सरकार दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने और उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है।’’

विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (यूडीआईडी) कार्ड योजना के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने के प्रयासों की सराहना करते हुए, मुर्मू ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कौशल विकास और उद्यमिता की पहल दिव्यांग व्यक्तियों को भारत की उभरती अर्थव्यवस्था में समान हितधारक बनने के लिए सक्षम बना रही है।

राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगों का स्वागत करते हुए मुर्मू ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा, ‘‘हमारे दरवाजे हमेशा आपके लिए खुले हैं’’। राष्ट्रपति ने ‘पर्पल फेस्ट’ को ‘‘कौशल और प्रतिभा दिखाने का एक अवसर’’ बताया।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप



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