भुवनेश्वर, 15 फरवरी (भाषा) ओडिशा विधानसभा के सत्र की कार्यवाही में शनिवार को उस समय हंगामा देखने को मिला, जब विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस के विधायकों ने फसलों के नुकसान के बाद किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने समेत कृषकों के मुद्दों पर विशेष चर्चा की मांग की, जबकि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने पूर्व नौकरशाह वी. के. पांडियन पर सदन में बीजद के सदस्यों के कार्यों को ‘‘नियंत्रित’’ करने का आरोप लगाया।
सदन में सुबह कार्यवाही शुरू होते ही बीजद और कांग्रेस विधायकों ने किसानों के मुद्दे पर विशेष चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया, जिसके कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सदन की कार्यवाही को स्थगित किए जाने के बाद जब पुन: इसकी कार्यवाही शुरू हुई तो फिर हंगामा होने लगा, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता जयनारायण मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी पूर्व नौकरशाह वी.के. पांडियन पर विधानसभा में बीजद सदस्यों और उनके कार्यों को ‘‘नियंत्रित’’ करने का आरोप लगाया।
मिश्रा ने बीजद सदस्यों पर आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सहमति दे दी, उसके बावजूद वे सदन की कार्यवाही में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
मिश्रा ने सवाल किया, ‘‘वे हंगामा क्यों करते हैं और सदन का बहुमूल्य समय क्यों बर्बाद करते हैं?’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब मैंने ‘लॉबी’ में बीजद सदस्यों से इस बारे में पूछा, तो उन लोगों ने जवाब दिया कि वे पांडियन के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं। क्या पांडियन सदन चलाएंगे?’’
मिश्रा ने आरोप लगाया कि बीजद विधायकों के बीच पांडियन का पसंदीदा बनने की होड़ मची हुई है।
मिश्रा के इस बयान के बाद हंगामा मच गया तथा बीजद सदस्यों ने इन आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई।
विपक्ष की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने कहा, ‘‘सदन के नियमों के अनुसार, जो व्यक्ति विधानसभा का सदस्य नहीं है, उसका नाम सदन में नहीं लिया जाना चाहिए। अगर वरिष्ठ विधायक (मिश्रा) के पास कोई सबूत है, तो उन्हें सदन के सामने पेश करना चाहिए। उन्हें उन बीजद विधायकों के नाम भी बताने चाहिए, जिन्होंने लॉबी में उन्हें ऐसी जानकारी दी है।’’
बीजद के वरिष्ठ सदस्य पी.के.देब ने कहा कि वे किसानों के मुद्दों पर विशेष चर्चा की मांग करते हैं, न कि स्थगन प्रस्ताव के नियमों के तहत बहस की, क्योंकि यह केवल 55 मिनट के लिए आयोजित की जाती है।
देब ने कहा, “चूंकि किसानों के मुद्दे बहुत बड़े और महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। हम 55 मिनट की बहस की नहीं, बल्कि विशेष चर्चा की मांग कर रहे हैं।’’
भाषा प्रीति दिलीप
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